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________________ को कैसे मिटा सकेगा? जो आलस्य, सुस्ती और प्रमाद को नहीं मिटा पाता, वह आत्म-नियंत्रण कैसे कर पाएगा।' उन्होंने कहा-'हमारी कुछ मौलिक इच्छाएं होती हैं। यदि हम उन इच्छाओं को समाप्त नहीं कर सकते तो उन इच्छाओं के आधार पर पलने वाली दूसरी जटिल इच्छाओं को कभी समाप्त नहीं कर सकते। जीने की कामना, भोजन की कामना, काम की कामना और लड़ने की कामना-ये मौलिक इच्छाएं हैं। सभी प्राणियों में ये बनी रहती हैं। यदि इन पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो इनके आधार पर पलने वाली अन्य जटिल इच्छाओं पर कभी नियंत्रण नहीं पाया जा सकता। इसलिए यह आवश्यक है कि साधक सबसे पहले मौलिक इच्छाओं पर विजय प्राप्त करे, उन पर नियंत्रण करे। मौलिक इच्छाओं में पहली है भोजन की इच्छा। यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण इच्छा है, क्योंकि हमारे सारे शरीर की क्रियाएं भोजन के द्वारा संचालित होती हैं। हमारी प्राण-ऊर्जा भोजन से बनती है। हम जो खाते हैं, उसका एक रसायन बनता है और वह रसायन हमारे जीवन की प्राण-उर्जा बनकर शरीर-तंत्र का संचालन करता है। हमारे शरीर में दो महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं-तैजस् केन्द्र और शक्ति केन्द्र। तैजस्-केन्द्र वह है जो खाए हए भोजन को प्राण की ऊर्जा में बदल देता है। शक्ति केन्द्र वह है जो प्राण की ऊर्जा का स्रोत है, संग्रह-स्थान है। एक ऊर्जा को पैदा करने का स्थान है और एक ऊर्जा का संग्रह-स्थान है। हम जो कुछ भोजन करते हैं, उसका रसायन बनता है और वह प्राणशक्ति के रूप में बदलता है और उसका सहयोग करता है। जैसा खाते हैं वैसा रसायन बनता है। अब प्रश्न होता है कि कैसा खाएं? क्या खाएं? कितना खाएं? इन प्रश्नों की चर्चा में प्रस्तुत प्रसंग में नहीं करूंगा। इस सारे चिन्तन से एक महत्त्व का सूत्र उपलब्ध हुआ कि हम आत्म-नियंत्रण का अभ्यास उपवास से शुरू करें, अनशन से शुरू करें, कम खाने से करें और खाने की वृत्तियों का संक्षेप करके करें और हमारी वृत्तियों को उभारने वाले रसों के संयम के द्वारा करें-उपवास द्वारा करें। यह आत्म-नियंत्रण का पहला सूत्र है। आत्म-नियंत्रण का दूसरा सूत्र है-शरीर। हम शरीर को साधे, यह ३२ आभामंडल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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