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२. व्यक्तित्व की व्यूह-रचना : आत्मा
और शरीर का मिलन-बिन्दु
१. • आत्मा और शरीर दो तत्त्व हैं। २. • उनका सम्बन्ध क्या है? वह कहां से प्रारंभ होता है? केन्द्र
में आत्मा, परिधि में कषाय-तंत्र जो अतिसूक्ष्म शरीर का मजबूत मोर्चा बनाए बैठा है। शक्ति-तंत्र जो प्राण-विद्युत् प्रवाहित कर रहा है। चैतन्य के स्पंदन : अध्यवसाय-तंत्र।
ज्ञेयात्मक, रागात्मक, द्वेषात्मक। ३. • यहां तक स्थूल शरीर के साथ कोई सम्बन्ध नहीं। अध्यवसाय
का सम्बन्ध सूक्ष्म और अतिसूक्ष्म शरीर से। यह वनस्पति आदि
में भी। ४. • अध्यवसाय के स्पंदन स्थूल शरीर (चित्त-तंत्र और मस्तिष्क) के
साथ सम्बन्ध स्थापित करते हैं और लेश्यातंत्र या भावतंत्र तथा रंग के परमाणु ग्रन्थियों को प्रभावित करते हैं। क्रिया-तंत्र : मन, वचन, शरीर। नाड़ी-संस्थान को प्रभावित कर मन, वचन, शरीर की क्रिया का संचालन करता है। तैजस् शरीर से रंग दिखने शुरू हो जाते हैं।
संसार में दो तत्त्व हैं। एक है चेतन, दूसरा है अचेतन। एक है जीव, दूसरा है अजीव। जीव चेतन है और शरीर अचेतन। कुछ केवल शरीर को ही मानते हैं, केवल अजीव या अचेतन को ही स्वीकार करते
व्यक्तित्व की व्यूह-रचना : आत्मा और शरीर का मिलन-बिन्दु १५
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