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७. लेश्या : एक विधि है चिकित्सा की
१. • जीवन के दो मुख्य पहलू-भाव और विचार | २. • कषाय- संबद्ध भाव और विचार आवेग उत्पन्न करते हैं । ज्ञान-संबद्ध भाव और विचार से चैतन्य की धारा प्रवाहित होती है । ३. • आध्यात्मिक स्वास्थ्य का अर्थ हैं - मूर्च्छा की समाप्ति ।
* मानसिक स्वास्थ्य का अर्थ है - मन की दुर्बलता की समाप्ति । * शारीरिक स्वास्थ्य का अर्थ है - दूषित भावों से उत्पन्न विषों का निस्सरण |
४. • रंग - ध्यान और मन्त्र - प्रयोग से भाव-परिवर्तन किया जा सकता है ।
हम उस जगत् में जीते हैं जिसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक विरोधाभास चलते हैं। एक भी क्षण ऐसा उपलब्ध नहीं होता, जिसमें विरोधाभास न हो । एक भी देश ऐसा उपलब्ध नहीं होता, जिसमें विरोधाभास न हो । एक भी व्यक्ति ऐसा उपलब्ध नहीं होता, जिसमें विरोधाभास न हो । संभवतः एक भी पदार्थ ऐसा उपलब्ध नहीं होता, जिसमें विरोधाभास न हो। कोई व्यक्ति विरोधी बात कहता है, वह बात अखरती है, इस व्यक्ति में विरोधाभास है, किन्तु हम यह न भूलें कि हमारा समूचा जीवन विरोधाभासों से भरा पड़ा है। एक भी आदमी ऐसा नहीं जो सोलह आना स्वस्थ हो और एक भी आदमी ऐसा नहीं जो सोलह आना बीमार हो । वह स्वस्थ भी है, बीमार भी है। एक भी आदमी ऐसा नहीं जिसका मन सम्पूर्ण रूप से स्वस्थ हो; पागलपन का जिसमें लेश भी न हो । एक भी आदमी ऐसा नहीं जो सम्पूर्ण रूप से पागल हो । पागल है उसमें भी कुछ समझदारी है। समझदार है उसमें भी कुछ पागलपन है। समझदारी
लेश्या : एक विधि है चिकित्सा की
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