________________
से दो प्रतिशत मात्र है; उसे विद्युत् चाहिए बीस प्रतिशत। अब जहां दो प्रतिशत हिस्सा बीस प्रतिशत बिजली की मांग करे तो क्या हो सकता है। हम निर्विचार रहना सीखें। निर्विचारता में विद्युत् की खपत कम होगी। विद्युत् का और तैजस् का संचय रहेगा। एक ओर हम प्राण प्रयोग के द्वारा, प्राण को अधिक खींचने के द्वारा, भीतर में प्राण-शक्ति को भरें, तैजस्-शक्ति को शक्तिशाली बनाएं और दूसरी ओर उस विद्युत् की खपत को कम करें। हमारी शक्ति का भंडार तब बढ़ेगा, जब हम एक ओर से संकल्प-शक्ति के प्रयोग के द्वारा, प्राण-संग्रह की प्रक्रिया के द्वारा, प्राण भरने की क्रिया के द्वारा शक्ति के भण्डार का संवर्धन करें और उधर खपत कम करें, व्यय कम करें। इस प्रकार शक्ति का भण्डार बढ़ेगा। शक्ति का जागरण होगा, हमारा आभामण्डल शक्तिशाली बनेगा। हमारा भाव-तन्त्र शक्तिशाली बनेगा और हम अपने आस-पास एक ऐसे कवच का निर्माण करने में सफल होंगे, जो कवच हमें सारे बाहरी आक्रमणों से, संक्रमणों से बचाता रहेगा।
१६६
आभामंडल .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org