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________________ व्यक्ति अचेतन को चेतन बना दे या चेतन को अचेतन बना दे तो मानना होगा कि उसने उपादान का परिवर्तन किया है। पर ऐसा न हुआ है, और न होगा। आज के वैज्ञानिक जो जीन्स बनाते हैं, वे मात्र पर्यायों के परिवर्तन हैं, व्यवस्था का परिवर्तन है। उपादान का परिवर्तन नहीं है। आज शंकर बाजरा, कलमी आम होते हैं। यह दो नस्लों के संयोग से तीसरी जाति का उत्पादन है। खच्चर भी एक तीसरी जाति है। वह न घोड़ा है और न गधा। खच्चर तीसरी जाति का पशु है। सर्वत्र मिश्रण ही मिश्रण। वनस्पति में मिश्रण, पशुओं में मिश्रण। क्या यह सब उपादान का परिवर्तन है? नहीं, यह केवल निमित्तों का ही परिवर्तन है। न चेतना में परिवर्तन हुआ है और न पदार्थ के पुद्गल में परिवर्तन हुआ है। केवल संयोग के परिवर्तन से यह घटित होता है। उपकरणों में परिवर्तन हो जाता है। रस और गंध में परिवर्तन हो जाता है। एक ही लता पर सफेद फूल भी आते हैं और पीले फूल भी आते हैं। सफेद फूल वाली और पीले फूल वाली-दो भिन्न-भिन्न लताओं से यह बेल निर्मित हुई है यह एक तीसरी जाति बन गई। यह भी उपादान का परिवर्तन नहीं है। केवल निमित्तों का परिवर्तन है। हमारे शरीर, मस्तिष्क, इन्द्रिय तथा बुद्धि के जितने परमाणु हैं, उनमें थोड़ा-सा परिवर्तन किया जाए, तब सब कुछ बदल सकता है। रंग और आकार बदल सकता है, गंध और रस बदल सकता है। इसे उपादान का परिवर्तन नहीं कहा जा सकता। डॉ. इरविन, डॉ. स्वेडिन जेम्स कहते हैं कि जो भौतिकी वैज्ञानिक हैं, वे इस बात में उलझे हुए हैं कि पदार्थ का मूल कण क्या है? वे केवल इस बात को ही सुलझाने का प्रयत्न कर रहे हैं। यह कोई बहुत महत्त्व का प्रश्न नहीं है। मूल गुत्थी यह है कि पदार्थ का मूल चेतन है या अचेतन? चेतन या अचेतन की पारस्परिक गुत्थी को कैसे सुलझाया जा सकता है? यह विज्ञान के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। विज्ञान ज्ञाता के बारे में अभी भ्रान्त है। उनके सामने प्रश्न है कि क्या चेतन सत्ता है या नहीं? वर्तमान में पदार्थ के विषय में अनेक दृष्टियां स्पष्ट हुई हैं किन्तु चेतन के विषय में अब भी उलझनें हैं। ये उलझनें समाप्त १२४ आभामंडल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003062
Book TitleAbhamandal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year2004
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size11 MB
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