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अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग ध्यान करना, मन को एकाग्र करने का अभ्यास योगियों का काम है। आज इस विचार में परिवर्तन हो चुका है। अब इस विचार की प्रस्थापना हो चुकी है कि योग हर सामाजिक व्यक्ति के लिए आवश्यक है और इसलिए आवश्यक है कि उसकी साधना से व्यक्ति सफल जीवन जी सकता है। मैं प्रस्तुत चर्चा में मन को केन्द्रित करने की प्रक्रिया आपके सामने रखू, यह मुझे सम्भव नहीं लगता। मैं उसका संकेत भर कर देना चाहता हूं। दिशाबोध होने पर चलना सहज हो जाता है। हम इस बात को न भूलें कि चलना स्वयं को ही होता है।
आप घड़ी के सामने बैठ जाइये। मन को किसी एक शब्द, विचार या वस्तु पर टिका दीजिये। आप जितने क्षणों तक एकाग्र रहें उसे अंकित करते चले जाइये। साप्ताहिक प्रगति का लेखा-जोखा करते रहिये। अभ्यास करते-करते आप दस-पंद्रह मिनट तक एकाग्रता की स्थिति में रहिये। आगे का मार्ग स्वयं साफ हो जायेगा।
इस एकाग्रता का प्रभाव आपके व्यक्तिगत जीवन पर ही नहीं जीवन के हर पहलू पर होगा। मानवीय एकता का ध्येय और मन की एकाग्रता का अभ्यासयह 'मणिकाचंन' योग है। इस पर निर्भर है समूची मानव-जाति की समृद्धि और उसके सह-अस्तित्व का भविष्य।
6.7 क्रांति का नया आयाम क्रांति की परिभाषा है- सामाजिक धारणाओं, व्यवस्थाओं और व्यवहारों का पुनर्जन्म । उसका सूत्रधार है मनुष्य। मनुष्य का नया जन्म होता है, तब नएनए प्रश्न उपस्थित होते हैं। आज का नया प्रश्न है- हम क्या करें ?
इसका नया उत्तर है- जो सूझे सो करें। कम-से-कम इतना ध्यान अवश्य रखें कि आपके ही समान सुख-दुःख की अनुभूति वाले सामाजिक प्राणी के हितों की बलि चढ़ाकर अपने हितों का प्रासाद खड़ा न करें। राजनैतिक क्रांति द्वारा सत्ता और अर्थ के स्थानों में परिवर्तन हुआ है। सत्ता उच्चवर्ग के हाथों से खिसककर उस वर्ग के हाथ में आ गयी है, जो शोषित था। अर्थ का अधिकार व्यक्तिगत क्षेत्र से हटकर सामुदायिकता के क्षेत्र में चला गया। यह परिवर्तन कोई कम नहीं है, अभूत पूर्व परिवर्तन है। पर मानवता के स्तर पर यह अन्तिम नहीं है। विकास की संभावनाओं का अभी बहुत कम परिवर्तन हुआ है। अहिंसा की व्यापक निष्ठा के बिना वह हो भी नहीं सकता। अब तक जो क्रांति हुई है वह मानवीय उत्पीड़न और शोषण की प्रतिक्रिया है। इसलिए इसे मैं प्रतिक्रियात्मक क्रांति मानता हूं। क्रियात्मक क्रांति अभी नहीं हुई है । सत्ता और अर्थ का रूपान्तरण होने पर भी मनुष्य का पुनर्मूल्यन नहीं हुआ है। आज भी सत्तारूढ़ व्यक्ति का वही
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