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अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग
घी की दुकान पर एक पट्ट टंगा है। उसमें लिखा हुआ है- यहां शुद्ध देशी घी मिलता है। हलवाई की दुकान के पट्ट को देखिए। उस पर लिखा हुआ है- यहां शुद्ध देशी घी से बनी मिठाइयां मिलती हैं । किराने के दुकानदार ने अपने पट्ट पर लिख रखा है- मिलावट करना घोर पाप है।
असत्य अपने पैरों से नहीं चल सकता। वह सत्य की वैशाखी के सहारे चलता है। सफेद झूठ बोलने वाला आपको कभी धोखा नहीं दे सकता। आपको धोखा वह देता है, जो सत्य की ओट में झूठ बोलता है। खुली अनैतिकता को आप सहन नहीं कर सकते। नैतिकता के आवरण के पीछे छिपी अनैतिकता को आप सह लेते हैं।
यहां मिलावटी घी मिलता है, चर्बी से बनी मिठाइयां मिलती हैं, नकली मसाले मिलते हैं और मिलती है नकली औषधियां। पट्ट की इस भाषा को पढ़कर उस दुकान की सीढ़ियों पर कोई भला आदमी पैर रखना चाहेगा?
अनुभव बताता है कि जो लोग दूसरों के साथ अनैतिक व्यवहार करते हैं, उन्हें भी अनैतिकता पसंद नहीं है। वे नहीं चाहते कि उन्हें कोई ठगे, उन्हें कोई धोखा दे, उन्हें पानी-मिला दूध मिले। प्रश्न होता है, फिर ये दूसरों को क्यों ठगते हैं ? उन्हें क्यों धोखा देते हैं ? उस समय वे अनैतिकता को क्यों पसन्द कर लेते हैं ? मैं आपसे सच कहता हूं कि धोखा देने के क्षणों में भी धोखा देने वाले को अनैतिकता पसंद नहीं है। उसमें व्यक्तिगत स्वार्थ, हित और सुख-सुविधा का संस्कार जमा हुआ है। उस संस्कार की मादकता से उन्मत्त होकर वह अनैतिक आचरण कर लेता है, जो उसे पसन्द नहीं है। इस मानवीय दुर्बलता को ध्यान में रखकर ही महर्षि व्यास ने लिखा था
"जानामि धर्म न च में प्रवृत्तिः जानाम्यधर्म न च में निवृत्तिः।"
___ मैं धर्म को जानता हूं, फिर भी उसमें प्रवृत्ति नहीं कर पा रहा हूं। मैं अधर्म को जानता हूं, फिर भी उससे निवृत्त नहीं हो पा रहा हूं। यह क्यों ? ऐसा क्यों होता है ? इसका उत्तर मैं दर्शन की गहराइयों में गए बिना देना चाहता हूं। आपने अपनत्व की रेखाएं बहुत छोटी खींच रखी हैं। उन रेखाओं के भीतर जो है, उसके प्रति आपका ममत्व है और उनसे बाहर जो है, उनके प्रति आपका ममत्व नहीं है। जहां आपका ममत्व है, वहां आप नैतिकता को पसंद भी करते हैं और उसका व्यवहार भी करते हैं। ममत्व की परिधि से परे आप नैतिकता को पसंद करते हुए भी अनैतिक व्यवहार कर लेते हैं। मैंने नहीं सुना कि हजारों ग्राहकों को मिलावटी आटा बेचने वाला दुकानदार अपने परिवार को भी मिलावटी आटा खिलाता है। मैंने नहीं सुना कि हजारों की रिश्वत लेने वाला राज्य कर्मचारी अपने लड़के से रिश्वत लेता है। अपने परिवार को मिलावटी आटा खिलाने से व्यापारी को कौन रोक रहा है ? ममत्व। अपने लड़के से रिश्वत लेने से राज्य कर्मचारी को कौन रोक रहा है ? ममत्व। यह ममत्व की रेखा व्यापक हो जाए तो वह ग्राहकों को मिलावटी आटा बेचने से रोक देगी, व्यवसायी को और रिश्वत लेने से रोक देगी, राज्य कर्मचारी को।
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