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अहिंसा और अणुव्रतः सिद्धान्त और प्रयोग बहुत बड़ा एक सूत्र दिया गया था पवित्र स्मृति का-'शिवसंकल्पमस्तु मे मनः' मेरा मन पवित्र संकल्प वाला बने। मेरा मन निरंतर पवित्र बना रहे। जैन साहित्य का एक पारिभाषिक शब्द है- ज्यादा से ज्यादा शुभ योग बना रहे। यह बहुत प्रचलित शब्द है कि अशुभ योग की प्रवृत्ति न हो, शुभ योग की प्रवृत्ति हो। मनोविज्ञान के संदर्भ में यदि इस सूत्र की व्यवस्था करें तो स्वभाव निर्माण की दृष्टि से यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। शुभ योग की प्रवृत्ति होगी, अशुभ योग की प्रवृत्ति नहीं होगी- इसका अर्थ है-पवित्र भावों में हमारा जीवन बीतेगा, हमारे क्षण बीतेंगे, हमारा समय बीतेगा। पवित्र स्वभाव अपने आप बनता रहेगा। हिंसा, झूठ, चोरी, अब्रह्मचर्य, क्रोध, अभिमान, माया-ये सब अशुभ योग है यदि। इन अशुभ योगों में प्रवृत्ति होगी तो स्वभाव भी वैसा ही बनता चला जाएगा। इसलिए सूत्र दिया गया कि अशुभ योग की प्रवृत्ति न हो, शुभ योग की प्रवृत्ति हो। सामायिक : स्वभाव निर्माण का संकल्प
जैन श्रावक सामायिक करते हैं। सामायिक करने का अर्थ समता की साधना कहा गया है। हम क्यों नहीं माने कि सामायिक करने का अर्थ है-स्वभाव निर्माण का संकल्प, संवेगों को प्रवित्र बनाने का संकल्प। सामायिक का मतलब है-अशुभ योग की प्रवृत्ति न करना और शुभ योग की प्रवृत्ति करना । सावधयोग का प्रत्याख्यान यानी अशुभ योग की प्रवृत्ति का प्रत्याख्यान । जब अशुभ प्रवृत्ति का प्रत्याख्यान होगा तो आदमी सहज ही शुभ स्वभाव के निर्माण में चला जाएगा। सामायिक को स्वभाव निर्माण की प्रक्रिया माना जा सकता है। ___तंत्र-शास्त्र और शैव-दर्शन का शब्द है-सदाशिव। वह कभी अशिव नहीं होता । सदाशिव रहने का एक फार्मूला है-सामायिक। प्रत्येक व्यक्ति संकल्प करे कि मैं 50 मिनिट के लिए अशुभ प्रवृत्ति से निवृत्त होता हूं और शुभ प्रवृत्ति करता हूं। इसका अर्थ है वह पवित्र स्वभाव को और अधिक मजबूती देता है। इसका परिणाम होगा-व्यक्ति का मन उन संवेगों के प्रति कभी न झुकेगा, कभी न जाएगा, तो संवेग विषाद पैदा करने वाले हैं।
जब संवेग जागते हैं, बड़ी विचित्र स्थिति हो जाती है। संवेग में व्यक्ति का स्वभाव भी कैसा ही हो जाता है और व्यवहार भी कैसा ही बन जाता है। संवेग से जुड़ा है व्यवहार
एक कर्मचारी जल्दी घर पहुंचा। पत्नी ने कहा- अभी तो दो बजे हैं। तुम्हारे अवकाश का समय पांच बजे होता है। तीन घंटे पहले कैसे आ गए ? वह बोला- मैंने कोई काम किया था और मेरा बॉस बिगड़ गया। बॉस ने गुस्से में कहा- जाओ ! तुम जहन्नुम में, नर्क में चले जाओ। उसने ऐसा कहा तो मैं घर पर आ गया। बॉस ने जहन्नुम में भेजा और उसने अपने घर को जहन्नुम बना लिया।
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