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________________ चरवाहों ने सोचा - अवश्य ही यह कोई बहरा आदमी है । हम क्या करें । सांप ने आकर मुनि के पैरों में कई दंश मारे और वापस चला गया। थोड़ी देर बाद मुनि का ध्यान टूटा । चरवाहे पेड़ से उतरकर मुनि को नमस्कार कर बोले - बाबा, हमने आपको सावधान किया, लेकिन आपने कोई ध्यान ही नहीं दिया । एक काला नाग कहीं से आकर आपको इस गया है । देखिए और जल्दी कोई उपचार कीजिए । मुनि बोले- 'उपचार की कोई जरूरत नहीं ।' 'क्या आपको काटा, पता नहीं चला' 'नहीं चला ।' 'जहर नहीं चढ़ेगा ।' 'नहीं चढ़ेगा। क्योंकि मैं अमनस्क था ।' मरता है भय से जहां मन होता है, विचार होता है, संवेग वहीं पैदा होते हैं, प्रभावित करते हैं। शरीर में जहर भी जाएगा तो उसे मन ले जाएगा। यह भी निश्चित तथ्य है कि सांप के काटने से दस प्रतिशत मरते हैं, नब्बे प्रतिशत भय से मर जाते हैं। सांप की सैकड़ों प्रजातियों में कुछ गिनती की प्रजातियां ही जहरीली होती हैं किन्तु जैसे ही पता लगता है- सांप ने काट लिया है, फिर जहर की जरूरत नहीं, जहर अपने आप चढ़ जाएगा। याद करने से ही जहर चढ़ जाता है । जहर की कल्पना मन में आयी और जहर चढ़ गया । अमनस्क अवस्था में जहर नहीं चढ़ता । मर्म की बात सबसे पहले हम एकाग्रता की भूमिका की साधना करें | पतंजलि ने कहा - दुःख भी विक्षेप के साथ होता है। जहां विक्षेप नहीं है, वहां दुःख नहीं है । यह बड़े मर्म की बात है । हम प्रेक्षाध्यान के द्वारा विक्षिप्त अवस्था के पार जाने का अभ्यास करें। मन की जो चंचल अवस्था है, उसको पार करें और एकाग्रता की भूमिका पर आ जाएं, एक बिन्दु पर टिकने का अभ्यास हो जाए। आसपास कितना भी शोर हो, उससे निष्प्रभावी रहें । हमारा तो तनाव - विसर्जन : ८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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