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कायोत्सर्ग का मुख्य अर्थ है ममत्व का विसर्जन और भेदविज्ञान | ( आत्मा अलग है और शरीर अलग है, यह आध्यात्मिक दर्शन ऐसा बिन्दु है, जहां सारे तनाव अपने आप समाप्त हो जाते हैं, तनाव आने का दरवाजा ही बन्द हो जाता है)
शरण है अध्यात्म
तनाव को समाप्त करने के सामयिक उपचार अनेक हो सकते हैं, दवाइयां भी कुछ हो सकती हैं, आसन भी हो सकते हैं, नशा भी हो सकता है, किन्तु ये क्षणिक उपचार हैं। जीवन भर करते चले जाएं, तनाव आता-जाता रहेगा । तनाव मुक्ति के लिए अध्यात्म ही एकमात्र शरण है ।
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शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान में तनाव - विसर्जन के उपाय बतलाए गए हैं। मेडिकल साइंस में भी तनावमुक्ति के उपाय बतलाए गए हैं किन्तु वे सब उपाय 'हस्तिस्नानवत्' हाथी के स्नान की तरह होते हैं । हाथी तालाब में स्नान करता है, साफ हो जाता है । तट पर आकर वह फिर अपने ऊपर कीचड़ उछाल लेता है। कुछ ऐसी ही प्रक्रिया विज्ञान के सन्दर्भ में भी चल रही है । कुछ प्रयत्न करो, तनाव मिटाओ और फिर जैसे के तैसे बन जाओ। जब तक चित्त की निर्मलता नहीं आएगी, तब तक तनाव की समस्या बनी रहेगी । इसलिए आवश्यक है कि चित्तवृति का परिष्कार करें। फिर आगे जाएं एकाग्रता की भूमिका में । फिर उससे भी आगे निरुद्ध की भूमिका में जाएं। जहां निर्विचार की स्थिति है, वहां तनाव का प्रश्न ही कहां है ?
मैं अमनस्क था
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दक्षिण प्रदेश की घटना है । एक जैन मुनि कायोत्सर्ग की मुद्रा में खड़े थे कुछ चरवाहे वहां इधर-उधर घूम रहे थे । उन्होंने ध्यानमग्न मुनि को देखा । वे भी आकर आसपास खड़े हो गए। उसी समय एक काला नाग कहीं से आया और फुफकारने लगा । चरवाहे तत्काल पेड़ों पर चढ़ गए। उन्होंने जोर से आवाज लगाई - 'महाराज ! सांप आ रहा है, हट जाइए। लेकिन ध्यानावस्था में अवस्थित मुनि पर उनकी बातों का कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा ।
८० : नया मानव : नया विश्व
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