________________
होगी। उसने इस बात को पकड़ा और एक-दो दिनों में बिल्कुल सामान्य हो गया।
धारणा को बदलना, तनाव विसर्जन का स्थायी उपाय है। कायोत्सर्ग आदि-आदि उस ओर ले जाने वाले उपाय हैं, किन्तु जब तक हमारी चेतना का परिवर्तन नहीं होगा, कायोत्सर्ग भी इसका स्थायी उपाय नहीं हो सकेगा। जब तक सम्यग्दर्शन नहीं होगा, तब तक तनाव आता रहेगा, जाता रहेगा किन्तु सर्वथा विसर्जित नहीं होगा। सम्यग् दर्शन है भेदभाव की अनुभूति कायोत्सर्ग और शवासन कायोत्सर्ग शवासन नहीं है। हठयोग में शवासन होता है और प्रेक्षाध्यान में कायोत्सर्ग। शवासन में केवल शिथिलीकरण होता है। कायोत्सर्ग में शिथिलीकरण के साथ तीन बातें और होती हैं-जागरूकता, ममत्व का विसर्जन और भेदविज्ञान। जिस कायोत्सर्ग में जागरूकता नहीं होती, ममत्व का विसर्जन नहीं होता और भेदविज्ञान नहीं होता, वह कायोत्सर्ग कोरा शवासन बन जाएगा, शामक औषधि बन जाएगा। कायोत्सर्ग कोई शामक औषधि नहीं है। प्रेक्षाध्यान में किया जाने वाला कायोत्सर्ग स्थायी उपाय है और इसलिए है कि इसमें ममत्व का विसर्जन होता है। ममत्व अर्थात् मेरा कुछ भी नहीं है, फिर तनाव कैसे आएगा। तनाव का स्रोत तनाव आने का सबसे बड़ा स्रोत है-मेरापन का भाव । आप स्वयं अनुभव करें-आपके नौकर ने आपकी बात ठुकरा दी, थोड़ा गुस्सा करके आप शान्त हो गए। आप सोच लेंगे-चलो नौकर है। यह चला जाएगा तो दूसरा आएगा। आपकी पत्नी ने आपकी बात ठुकरा दी तो वह असह्य पीड़ा का कारण बन जाएगी। क्योंकि ममत्व का धागा जुड़ा हुआ है। सचाई यह है-कोई भी व्यक्ति किसी का नहीं है, सब स्वतंत्र हैं। जैसी आपकी स्वतंत्रता है, वैसे ही नौकर और पत्नी की स्वतंत्रता है। उनकी स्वतंत्रता को ममत्व के आवरण में ढक लेते हैं, इसलिए कष्ट पाते हैं
तनाव-विसर्जन : ७६
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org