________________
को रिलीज करता है किन्तु वह स्थायी नहीं होता । दवा ली, थोड़ी-सी शान्ति मिली, किन्तु उसके बाद फिर वही घटना, वही उत्तेजना और वही तनाव उभर आता है । यह तात्कालिक उपचार है कि दवा देकर सुला दो । जागने पर स्थिति वही की वही रहेगी । इसीलिए शायद महावीर ने कहा था- जो अज्ञानी आदमी निरंतर पाप करता है, उसका सोते रहना ही अच्छा है। तनाव मुक्ति के लिए अध्यात्म की प्रक्रिया को जानना होगा । मूल बात को जाने बिना रसोई नहीं बनती, केवल धुआं की धुआं होता है।
पुराने जमाने की बात है। एक राजा के दो रानियां थीं। एक दिन राजा ने दोनों से कहा - 'आज तुम्हें रसोई बनानी है । उसमें ईंधन के रूप में गन्ने का इस्तेमाल करना है ।' महाराज का आदेश रानियों ने स्वीकार कर लिया | बड़ी रानी ने सबसे पहले शुरुआत की । गन्ने मंगाए, चूल्हा जलाया । लेकिन इतना धुआं हुआ कि रानी बैठ नहीं सकी । छोटी रानी समझदार थी । उसने अनेक बच्चों को बुला लिया। बच्चों से कहा कि गन्ने चूस लो और उसके छिलके यहीं रख दो। बच्चों ने वैसा ही किया । छिलकों को जलाकर रानी ने रसोई बना ली। धुआं उसे परेशान नहीं कर सका ।
1
निवृत्ति का सूत्र
प्रश्न है - निर्धूम रसोई कैसे बन सकती है ? गीता में ठीक ही कहा गया - सर्वारंभा हि दोषेण धूमेनाग्निरिववृताः । जितने आरंभ हैं, जितनी प्रवृत्तियां है, उन सबके पीछे दोष लगा हुआ है । एक भी प्रवृत्ति ऐसी नहीं है, जिसके साथ दोष न हो । गीताकार ने एक उपमा की भाषा में इसे समझाते हुए कहा - अग्नि जले और धुआं न हो, यह संभव नहीं है । जैसे ईंधन जलने के साथ धुआं होता है, वैसे ही प्रवृत्ति के साथ दोष होता है । प्रवृत्ति को हम कैसे कम करें ? शरीर, मन, वाणी और भाव - इनकी प्रवृत्तियों को कम कैसे करें ? यह निवृत्ति का सूत्र, अध्यात्म का सूत्र तनाव विसर्जन का शक्तिशाली सूत्र है - प्रवृत्ति के बाद निवृत्ति करो, एक घण्टा प्रवृत्ति की तो दस मिनट उसकी निवृत्ति करो । सामान्य भाषा में इसे
तनाव - विसर्जन : ७५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org