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और भी कुछ कारक तत्त्व हैं। जो व्यक्तित्व का निर्माण करना चाहता है, वह निर्धारित प्रयोगों का अभ्यास करे। व्यक्तित्व का विकास केवल चर्चा से नहीं होगा। यदि आप अभ्यास करें तो निश्चयपूर्वक कहा जा सकता है-आपका व्यक्तित्व, आपका व्यवहार विलक्षण बनेगा। दूसरों को भी यह लगेगा-आप में कोई विलक्षणता आयी है, जो सबके मानस को प्रभावित कर रही है। हम अपनी विलक्षणता को इस प्रकार आत्मसात् करें कि वह समाज के आईने में प्रतिबिम्बित हो जाए। इससे आपका व्यक्तित्व निखर उठेगा। यह व्यक्तित्व का निखार ही मनुष्य को ऊंचाइयों के स्पर्श का अवसर देता है।
व्यक्तित्व का निर्माण : ७१
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