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________________ जीए। इसके लिए उसने उपाय खोजा और उपाय मिला उसे मादक द्रव्यों के रूप में। मादक पदार्थों की अपनी विशेषता है, इससे हम इन्कार नहीं करते। उनमें विशेषता है इसीलिए तो उनका इतना प्रचार है, इतनी खपत हो रही है। सेवन करने से एक बार तो आदमी पूर्ण शान्ति की स्थिति में चला जाता है। वह सारे तनावों और परेशानियों को कुछ देर के लिए भूल जाता है। व्यापक है नशे की आदत नशा करने वाला, मादक पदार्थों का सेवन करने वाला हर व्यक्ति पागल नहीं है, नासमझ नहीं है। कुछ व्यक्ति नासमझी से करते हैं, मूर्खतावश करते हैं किन्तु कुछ लोग समझदारी से करते हैं। अमेरिका जैसे राष्ट्र में जहां के नागरिक प्रबुद्ध हैं, वहां राष्ट्रपति बुश के कार्यकाल में किए गए एक सर्वे में पाया गया-दो करोड़ अस्सी लाख लोग विशेष मादक पदार्थों के सेवन में व्यस्त थे। शराब आदि सामान्य नशों के नहीं, हेरोइन, कोकीन आदि तीव्र नशीली चीजों के सेवन के आदी थे। राष्ट्रपति बुश ने इन नशीली चीजों के निरोध की अपील की और सात अरब अस्सी करोड़ डालर इन वस्तुओं के निरोध के लिए खर्च करने की घोषणा की। इतना बड़ा देशव्यापी संकट खड़ा हो गया। दो करोड़ अस्सी लाख लोगों में सबके-सब नासमझ और मूर्ख तो नहीं थे। उनमें पढ़ा-लिखा और बुद्धिजीवी वर्ग भी था। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता-नशे का सेवन करने वाला हर व्यक्ति मूर्ख, पागल, मंदबुद्धि या नासमझ है। क्यों करते हैं नशा ? प्रश्न है-फिर क्यों करते हैं नशा ? कारण सिर्फ एक ही है और वह है शान्ति की चाह । व्यक्ति चाहता है-परेशानियों से दूर, आपे को भूल कर एक ऐसे लोक में चले जाएं, जहां कोई बाधा न हो। किसी समय एल. एस. डी. का प्रयोग ज्यादा चलता था। उसके सेवन से ऐसा मतिभ्रम होता है कि स्वर्गिक आनन्द की अनुभूति होती है। इतना विचित्र लोक आंखों के सामने आता है कि नशेड़ी समझता है-इससे बढ़िया लोक और कहीं दूसरा नहीं है, इससे बड़ा कोई आनन्द नहीं है। यही मतिभ्रम और स्वर्गिक आनन्द आदमी को कहां से आती है अपराध चेतना ? : ५१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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