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________________ सफलता मिलेगी। मूल कारण है मन की चंचलता को कम करना। वर्तमान समाज की स्थिति को हम देखें। आज चंचलता बहुत ज्यादा है। इसका कारण है-चेतना ऊर्ध्व पर अवस्थित नहीं है, वह नाभि के आसपास कार्य कर रही है। जब-जब समाज और व्यक्ति की चेतना नाभि (एडीनल ग्लैण्ड) के पास अधिक सक्रिय बनती है, तब तब बीमारी और मानसिक विकार-सब कुछ बढ़ता है। अपराध की चेतना का यह मूल कारण है। चेतना कहां अवस्थित है ? चेतना की स्थिति ऊर्ध्वगामी है, मध्यगामी है या अधोगामी है ? वर्तमान में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चेतना नीचे ज्यादा काम कर रही है। नीचे की चेतना अच्छे समाज का लक्षण नहीं है। अपराध की चेतना का मूलस्रोत खोजें तो वह होगा चेतना का निम्नगामी होना, नीचे उतर जाना और नीचे रहना। मेडिकल साइंस के अनुसार नाभि के नीचे का जो स्थान है, वह पिंगला से प्रभावित स्थान है। मन की शान्ति, चित्त की निर्मलता इससे कम हो जाती है। अपराध की चेतना का मूल कारण यही बनता है। अपराध के निमित्त हम निमित्तों पर विचार करें। मानसिक विकास का कम होना अपराध का एक बहुत बड़ा कारण है। मस्तिष्कीय क्षति वाले व्यक्ति, जिनका मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होता है और मंदबुद्धि वाले व्यक्ति, जिनमें चिंतन की शक्ति नहीं होती, अपराध में चले जाते हैं। मनस्ताप भी अपराध की ओर ले जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपराध और मादक वस्तुओं के सेवन की विधियों को जानने के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित की। उस समिति का जो प्रतिवेदन है, उसे पढ़ने से पता चलता है कि अनेक प्रकार की मादक वस्तुएं विश्वबाजार में छा गई हैं। यद्यपि हर काल में मनुष्य मादक द्रव्यों का सेवन करता रहा है, क्योंकि मनस्ताप और मादक पदार्थों का सेवन लगभग साथ-साथ चलते हैं। सामाजिक जीवन में मान-अपमान, तिरस्कार, उपेक्षा, अर्थाभाव, दुःख-क्लेश, अवसाद आदि चलते ही रहते हैं। ये समस्याएं मन में तनाव पैदा करती हैं, संताप पैदा करती हैं। आदमी नहीं चाहता कि वह संताप अथवा तनाव का जीवन ५० : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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