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________________ संस्कार निर्माण का प्रयोग अहिंसा के विकास के लिए संवेदनशीलता का विकास करना बहुत जरूरी है। संवेदनशीलता के विकास के लिए अनुप्रेक्षा की विधि अपनानी होगी। संस्कार - निर्माण की यह विधि जितनी अच्छी हैं, उतनी अच्छी विधि शायद अभी दूसरी विकसित नहीं हुई है । सव्वभूयप्प भूयस्य 'सम्मं भूयाहि पासओ-सव जीवों को अपने तुल्य समझो। 'आयतुले पयासु' - सब आत्माओं को अपनी आत्मतुला से तोलो - इन दो पर अनुप्रेक्षा का प्रयोग किया। कुछ लोगों ने कहा - इससे हमारा सारा दृष्टिकोण ही बदल गया । आज अपेक्षा है - दृष्टिकोण को बदलने के लिए अनुप्रेक्षा का प्रयोग किया जाए, सचाई को बार-बार दोहराया जाए । शिला बहुत मजबूत होती है, किन्तु उस पर यदि मजबूत रस्सी बार-बार चले तो शिला पर भी निशान बन जाते हैं । प्रशिक्षण का एक सूत्र हैभावना, पुनः पुनः प्रवृत्ति और अभ्यास । संस्कार - निर्माण का यह शक्तिशाली प्रयोग है। शरीर और अहिंसा 1 अहिंसा के प्रशिक्षण का एक अंग है स्वास्थ्य । शरीर ठीक रहे, उसमें कोई पीड़ा न रहे, हमने इस सीमा तक ही स्वास्थ्य को सीमित कर रखा है यह स्वास्थ्य का सही मूल्यांकन नहीं है । मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की बात को छोड़ दें, शारीरिक स्वास्थ्य का भी हमारी हिंसा और अहिंसा के साथ गहरा संबंध है । आज यह वैज्ञानिक अध्ययन का विषय बना हुआ है। अगर लीवर का फंक्शन ठीक नहीं है तो आपमें हिंसा की भावना पैदा हो जाएगी। हाइपर एसिडिटी है तो बुरे विचार, बुरे भाव पैदा होते चले जाएंगे। रक्त में ग्लूकोज का 'लो' परसेंटेज है तो आत्महत्या या दूसरों की हत्या की भावनाएं पैदा होंगी। स्नायुतंत्र का संतुलन नहीं है, अन्तःस्रावी ग्रन्थियों के रसायन संतुलित पैदा नहीं हो रहे हैं तो हिंसा की भावना पैदा हो जाएगी । Jain Education International अहिंसा प्रशिक्षण : एक सार्वभौम आयाम : ४३ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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