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________________ जाता है। फिर ऊंट को बेतहासा दौड़ाया जाता है। जब बच्चा भय और पीड़ा से चीखता है, चिल्लाता है तो शेख और दूसरे दर्शक प्रसन्न एवं आनंदित होते हैं। बच्चों की करुण चीत्कारें तब तक सुनते रहते हैं, जब तक कि उनके प्राण पखेरू न उड़ जाएं। क्या संवेदनहीनता के बिना ऐसा दृश्य देखा जा सकता है ? निदर्शन रोम का रोम का साम्राज्य बहुत शक्तिशाली था। वहां हिंसा और खूनी संघर्षों में लोग इतने हृदयहीन और संवेदनहीन हो गए कि तलवार-बंदूक से किसी को मारने में उनकी रुचि ही समाप्त हो गई। फलस्वरूप हत्या की नई-नई विधियों को ईजाद कर वहां आदमी को तड़पा-तड़पा कर मारा जाने लगा। जिस्म से उबलते रक्त के छूटते फव्वारों, चीखों और चीत्कारों से वहां के लोगों को अपूर्व तोष और आनन्द का अनुभव होता था। इस दृष्टि से वहां भयानक यातानागृह बनाए गए। अन्ततः इसी संवेदनहीनता ने रोम साम्राज्य का पतन कर दिया। पहले वे दूसरों को मारते थे, किन्तु जब हिंसा उनका संस्कार बन गया तो वे अपनों को ही मारने लगे। सैनिक अपनी पत्नियों को मारने लगे, अपने पुत्रों को मारने लगे, पड़ोसियों को मारने लगे। धीरे-धीरे वह साम्राज्य आपस में ही लड़-कटकर समाप्त हो गया। स्थिति अमेरिका की समाचारपत्रों में पढ़ा-अमेरिकी सैनिक भी उसी पगडंडी को पकड़ रहे हैं। युद्ध के प्रशिक्षण, वियतनाम, इराक, सोमालिया आदि देशों में युद्धरत सैनिकों की आदत ही इतनी हिंसक हो गई, दिमाग इतना गर्म हो गया, हिंसा से इतना भावित हो गया कि हिंसा एक सामान्य घटना बन गई। घर में पत्नी या किसी ने मन के प्रतिकूल कुछ भी कहा तो फौरन गोली मार दी जाती है। छोटे-छोटे विद्यार्थियों में भी यह प्रवृत्ति घर करती जा रही है। वहां लाखों विद्यार्थी विद्यालयों में पिस्तौल या कोई अन्य मारक हथियार लेकर जाते हैं। ४२ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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