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________________ जैनेन्द्रजी ने कहा - 'यह बहुत सुन्दर कल्पना है । अहिंसा सार्वभौम की कल्पना के रूप में इसे आगे बढ़ाना चाहिए ।' अणुव्रत के परिपार्श्व में एक नया संकल्प जन्मा– ‘अहिंसा सार्वभौम' । गुजरात के साहित्यकारों ने, सर्वोदय के कार्यकर्ताओं ने इसे एक नए दृष्टिकोण के रूप में देखा । त्रिसूत्री कार्यक्रम के बिना केवल अहिंसा के सिद्धान्त की चर्चा से आगे नहीं बढ़ा जा सकता। आज जब विज्ञान अनुसंधान के बल पर प्रशिक्षण और प्रयोग के बल पर बहुत आगे बढ़ रहा है, इन तीनों के अभाव में मात्र एक वाङ्मय और शब्दों का घेरा बन जाता है, कोई बड़ा या नया काम नहीं हो सकता । प्रशिक्षण : चार सूत्र प्रशिक्षण की विधि को भी जानना बहुत जरूरी है । प्रश्न है अहिंसा का प्रशिक्षण कैसे हो ? एक प्राचीन ग्रन्थ है बृहत्कल्प भाष्य । उसमें प्रशिक्षण की बहुत बढ़िया विधि निर्देशित है। उसके चार सूत्र हैं - पहला सूत्र है मूल पाठ का उच्चारण । मूल पाठ यह है - मैं किसी निरपराध प्राणी का संकल्पपूर्वक वध नहीं करूंगा । आत्महत्या नहीं करूंगा । परहत्या नहीं करूंगा । भ्रूणहत्या नहीं करूंगा। दूसरा सूत्र है- अर्थ बोध | तीसरा सूत्र है - अधिगम | यह पूछो कि तुम्हारी समझ में आया या नहीं आया । अधिगत किया या नहीं किया ? चौथा सूत्र है - श्रद्धा । इस विषय में जो पाठ पढ़ाया, जो अर्थ बताया और जो तुमने समझा, उसमें तुम्हारी श्रद्धा पैदा हुई या नहीं हुई ? मूलपाठ, अर्थ, अधिगम और श्रद्धा- जब तक ये चार सूत्र नहीं होते, प्रशिक्षण की बात आगे नहीं बढ़ती । कोई भी प्रशिक्षण हो, उसके लिए ये चार सूत्र बहुत महत्त्वपूर्ण हैं । प्रशिक्षण का यह महत्त्वपूर्ण सूत्र आचार्य संघदास और आचार्य मलयगिरि ने दिया । संकल्प संस्कार बने अणुव्रत अहिंसा के प्रशिक्षण की आचारसंहिता है । दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है - अणुव्रत का अर्थ है, अहिंसा की आचारसंहिता, अहिंसा के ३८ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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