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संचार माध्यम दूसरा घटक है संचार माध्यम । संचार माध्यम यह संकल्प लें-ऐसी घटना, ऐसा संवाद प्रेषित नहीं करेंगे, जिससे पाशविक मस्तिष्क को उत्तेजना मिले, उद्दीपन मिले। ऐसा हो जाए तो स्थिति में काफी सुधार की गुंजाइश बन सकती है। धर्म गुरु का दायित्व धर्मगुरु का काम इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण हो सकता है। धर्मगुरु अपने-अपने अनुयायियों को एक संकल्प दिलाएं-बच्चों में अच्छे संस्कारों का निर्माण करना है और उनके पाशविक मस्तिष्क को निष्प्रभावी बनाना है तो स्थिति को बदला जा सकता है। ___ कठिनाई यह है-शिक्षा स्वयं समस्या बनी हुई है। शिक्षा को जो देना चाहिए, वह तो नहीं दे रही है और जो नहीं देना चाहिए, वह ज्यादा दिया जा रहा है। हमने शिक्षा के बारे में एक सूत्र को बार-बार दोहराया है और वह यह है-जितना पढ़ाया जा रहा है, चिन्तन करें कि उसे कैसे कम किया जा सकता है और जो नहीं पढ़ाया जा रहा है, चिन्तन करें कि उसे कैसे जोड़ा जा सकता है। कैसे कितना छोड़ा जा सकता है और कैसे कितना जोड़ा जा सकता है ? इस फार्मूले पर जब तक हमारे शिक्षा-शास्त्री, शिक्षाधिकारी चिन्तन नहीं करेंगे, कोई परिवर्तन संभव नहीं लगता है। हमारे संगठन हजार प्रयत्न करें समाज-व्यवस्था और अर्थ-व्यवस्था को बदलने का, शायद संभव नहीं होगा।
संचार माध्यम भी इस दिशा में प्रयत्न नहीं कर रहे हैं। आज के अखबारों में, रेडियो की न्यूज में और टेलिविजन के पर्दे पर जो सामने आता है, वह ऐसा नहीं है कि व्यक्तित्व का निर्माण कर सके या पाशविक मस्तिष्क को परिष्कृत कर सके।
धर्मगुरु भी इस दिशा में सचेष्ट नहीं हैं। वे इस बात में सचेष्ट हैं कि मेरा भक्त भक्त वना रहे, गद्दी कायम रहे। इस चिन्ता में ज्यादा लगे हुए हैं, सुधार की वात कुछ कम चल रही है। तीन ही क्षेत्र हैं बदलने वाले और तीनों ही इस दिशा में निष्क्रिय प्रतीत हो रहे हैं।
३२ : नया मानव : नया विश्व
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