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________________ बनाएगा। आकाश में नगर बसाने के सपने ले रहा है आज का आदमी। कहा जा रहा है-पाताल में भी नगर बसाए जाएंगे। पर क्या बसने वाला आदमी आकाश में से टपकेगा ? बसने वाला यही आदमी तो होगा। फिर वहां भी अशान्ति कैसे नहीं होगी ? सबसे पहले वह धरती पर रहने लायक तो बने। वह तभी ऐसा बन पाएगा, जब उसकी यह अहं वृत्ति छूट जाएगी। किसका अहंकार पौराणिक कहानी है। एक स्त्री और पुरुष-दोनों के मन में साधना की भावना जागी। दोनों एक-साथ निकले, किन्तु अलग-अलग दिशाओं में। वर्षों तक उन दोनों ने सफल साधना की। इस काल में उन्हें कुछ सिद्धियां भी प्राप्त हुईं। साधना संपन्न कर दोनों वापस आए। मार्ग में फिर मिले । एक दूसरे को प्रणाम किया। पुरुष के मन में अहं काम कर रहा था। स्त्री ने बात करने की चेष्टा की तो पुरुष ने कहा-यहां क्या बात करें ? चलो, उधर जलाशय के पानी पर चलते हुए बात करें। स्त्री समझ गई कि यह अहंकार बोल रहा है। वह बोली-वहां क्या बात होगी, चलो आकाश में उड़ते हुए बातें करें। पुरुष का अहं शान्त हो गया। वह उड़ने की विद्या से अनभिज्ञ था। स्त्री ने मुसकराते हुए कहा-किस बात का अहंकार ! आखिर छोटी-सी मछली भी पानी पर चल सकती है और नाचीज मक्खी भी आकाश में उड़ सकती है। क्यों नहीं हम साधना के द्वारा ऐसी स्थिति का निर्माण करें, जिससे हम धरती पर चल सकें, धरती को रहने लायक बना सकें। जंगलराज की स्थिति आज ऐसा लगता है कि यह धरती रहने के लायक नहीं है। इस पर रहना पड़ता है, किन्तु रहने लायक है नहीं। यहां इतनी कठिनाइयां पैदा हो गई हैं कि जीना दूभर हो गया है। ऐसे महानगरों की स्थिति कितनी बदतर है, जहां पचास लाख, अस्सी लाख और एक करोड़ तक लोग रहते हैं। इस बात को हर कोई जानता है। दिन दहाड़े लूट लेने वाले गिरोह, फुटपाथ पर बैठने का भी चंदा वसूल लेने वाले दादा और गुण्डे, अपहरण कर फिरौती वसूल करने वाले गैंग, आंखों में धूल झोंक कर जेब काटने वाले ठग, इन सबसे भरे पड़े नए मनुष्य का जन्म : २६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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