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मस्तिष्क विद्या का मत
मस्तिष्क विद्या के अनुसार माना गया - यह परत लाखों वर्ष पुरानी है, सरीसृप जाति में इसका विकास हुआ था । वही परत आज तक मनुष्य के मस्तिष्क में है। आज के वैज्ञानिक यह नहीं मानते - साम्प्रदायिक उन्माद मुल्ला-पंडितों के कारण होता है । ये तो निमित्त बन जाते हैं पर यह जो साम्प्रदायिक अभिनवेश होता है, कलह और झगड़े होते हैं, ये सारे उस रेप्टेलियन परत के कारण होते हैं । इतना अवश्य होता है कि हमारे जो बड़े-बड़े धर्मगुरु हैं, वे उसको उभार देते हैं, व्यक्ति को उसके प्रभाव में ले जाते हैं । अगर मस्तिष्क में यह परत न हो तो हजार प्रयत्न करने पर भी कुछ नहीं होगा । जितना जातीय उन्माद और साम्प्रदायिक अभिनिवेश है, वह इस परत के कारण होता है ।
कब होगा नए मनुष्य का जन्म
नए मनुष्य की परिकल्पना का तात्पर्य है - मस्तिष्क की नई सरंचना हो और मस्तिष्क का प्रभावक्षेत्र हम दूसरी दिशा में ले जाएं। जो पाशुविक मस्तिष्क (एनीमल ब्रेन) है, उसके प्रभाव को सीमित कर नियोकार्टेक्स, जो हमारे मस्तिष्क की सबसे अंतिम परत है, के प्रभाव में ले जाएं। इससे हमारी दिशा बदल जाएगी। वास्तव में नए मनुष्य का जन्म होगा, जिसमें जातीय उन्माद और साम्प्रदायिक अभिनिवेश नहीं होगा, जो अनावश्यक हिंसा नहीं करेगा ।
तीन सिद्धान्त
अणुव्रत ने इन तीन तत्त्वों और सिद्धान्तों को सामने रखाअनावश्यक हिंसा मत करो ।
छुआछूत मत करो
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जातीय उन्माद मत फैलाओ, साम्प्रदायिक अभिनिवेश मत करो। धर्म के नाम पर भूमि को रक्तरंजित मत करो ।
ये तीन बातें होंगी तो सचमुच नए मनुष्य का जन्म होगा । वह ऐसा मनुष्य होगा, जो धरती पर रहने लायक होगा और धरती को रहने लायक
२८ : नया मानव : नया विश्व
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