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संगठन कभी. अच्छा चल नहीं सकता, जिसमे दूसरों के हित की चिन्ता नहीं होती । आज संयुक्त परिवार टूटते जा रहे हैं। परिवार के विघटन का प्रमुख कारण यही है कि मैत्री का प्रयोग कम हो गया है। एक-दूसरे की हितचिन्ता कम हो गई है। जहां व्यक्ति अपने स्वार्थ को गौण कर दूसरे के हित की चिन्ता करता है, वहां संगठन सुदृढ़ होता है उसे कोई आंच नहीं आ सकती, उसे कोई तोड़ नहीं सकता ।
यह खेत मेरा है
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मराठा सेनापति पेशवा बाजीराव ने मालवा पर आक्रमण किया। मराठों का उस समय तेज इतना प्रचंड था कि विजय उनकी सेनाओं के आगे चलती थी। मराठों को मालवा पर विजय मिली। वापस आते समय मार्ग में खाद्यान्न की कमी हो गई । सेनापति ने अधिकारियों को ओदश दिया -जाओ, जहां से भी प्रचुर मात्रा में अन्न मिले, लेकर आओ । अधिकारी गए पर अन्न मिलता कहां से। खेत तो सारे जले पड़े थे । युद्ध में जन-हानि के साथ-साथ धन-हानि भी होती है। इसलिए युद्ध से बड़ा और कोई अभिशाप नहीं है एक बार का युद्ध पचासों वर्ष तक की तबाही अपने साथ लाता है। काफी दूर तक खोज की गई, किन्तु अन्न नहीं मिला । सब कुछ युद्ध में ध्वस्त हो चुका था । अंततः वे खोजते खोजते युद्ध की काली छाया से किसी तरह बचे एक स्थान पर पहुंचे वहां एक वृद्ध आदमी मिला । अधिकारी ने पूछा- यहां अनाज कहां मिलेगा ? उसने कहा- मैं बताता हूं, मेरे साथ आओ। उसके साथ चले, वृद्ध आगे, अधिकारी पीछे। कुछ ही दूरी पर फसल से लहलहाता हुआ खेत मिला। अधिकारियों ने प्रसन्नता से कहा- 'अब हमें पर्याप्त अनाज मिल जाएगा ।' बूढ़े ने कहा - 'नही, यहां नहीं, अभी आगे चलो।' कुछ दूरी पर दूसरा खेत आया। फसलों की ओर इशारा करते हुए उस वृद्ध ने कहा - 'यहां से ले लें ।' अधिकारियों ने कहा- 'इस खेत से ज्यादा तो उस खेत में अनाज था, जिसे हम पीछे छोड़ आए ।' बूढ़े ने कहा - ' आप ठीक कहते हैं, लेकिन वह खेत मेरा नहीं था, यह खेत मेरा है ।' सब अवाक् रह गए। क्या इस तरह का भी कोई व्यक्ति हो सकता है ?
जो व्यक्ति अपने हित को गौण कर दूसरे के हित की बात सोचता है,
पारिवारिक सामंजस्य : १७
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