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संगठन मजबूत बनता है, एकता की भावना दृढ़ होती है ।
मनोबल : मानसिक पक्ष
सामूहिक मनोबल के दो पक्ष हैं
मानसिक पक्ष
सामाजिक पक्ष
मनुष्य में एक अभिवृत्ति (एटीट्यूड) जागृत होती है । वह समूह के द्वारा जो स्वीकृत नियम हैं, उन नियमों को सहज स्वीकार कर लेता है । कोई ननु नच नहीं, तर्क नहीं । समूह के नियमों का स्वीकार और उन नियमों के आधार पर व्यवहार, सहेजभाव से अपनी अभिवृत्ति के साथ चलता है। वह उसका कहीं अतिक्रमण नहीं करता । यह सामूहिक मनोबल का मानसिक पक्ष है ।
मनोबल : सामाजिक पक्ष
सामाजिक पक्ष में सामाजिक भावना का विकास होता है। प्रबंधन के लिए बहुत आवश्यक है सामूहिक भावना का विकास । वैयक्तिक स्वार्थों को गौण करना और सामूहिक भावना को महत्त्व देना । चाणक्य का एक बहुत महत्त्वपूर्ण सूत्र है
त्यजेदेकं कुलस्यार्थं, ग्रामस्यार्थं कुलं त्यजत् ।
ग्रामं जनपदस्यार्थं, आत्मार्थं सकलं त्यजेत् ।
जहां कुल का प्रश्न है, वहां एक को छोड़ देना चाहिए। जहां गांव का प्रश्न है, वहां कुल को छोड़ देना चाहिए। जहां समाज या राष्ट्र का प्रश्न हो, वहां गांव को भी छोड़ देना चाहिए और जहां आत्मा का प्रश्न हो, वहां सबको छोड़ देना चाहिए ।
अध्यात्म की भाषा है - जहां आत्मा का हित हो, वहां दूसरे हितों को त्याग देना चाहिए। प्रबन्धन का एक बड़ा सूत्र है - जहां बड़ा हित सामने आए, वहां छोटे हित को छोड़ देना चाहिए ।
वर्तमान प्रबंधन के सूत्र
वर्तमान में मैनेजमेंट की पद्धति का बहुत विकास हुआ है । इसे आज वैज्ञानिक
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पारिवारिक सामंजस्य : १५
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