________________
पारिवारिक सामंजस्य
एक समय था, जब यौगलिक युग था। एक युग्म-जोड़ा जन्म लेता और उसी के आधार पर सारी व्यवस्था चलती। समाज नहीं बना था। न कोई प्रवंधन था और न कोई नियोजन था। वर्तमान में समाज बन गया। आबादी बहुत बढ़ गई, परिवार नियोजन के उपाय किए जा रहे हैं। उस समय प्रकृति का संतुलन था किन्तु आज वह नहीं है। अनेक देशों में ऐसी समस्या पैदा हो गई है-लड़के ज्यादा हो गए हैं, लड़कियां कम हो गई हैं, एक असंतुलन पैदा हो गया है। चीन में यह समस्या बढ़ती जा रही है। कहीं लड़का नहीं है, यह भी समस्या है। नियोजन की सारी समस्याएं आ रही हैं। उस समय प्रकृति का नियोजन ही महत्त्वपूर्ण था और वह लम्बे समय तक चलता रहा। समाज बना, परिवार बने, तो प्रबन्ध की स्थितियां बनीं। जब विस्तार होता है तो प्रबन्ध की अपेक्षा होती है। परिवार का विकास हुआ तो उसके पीछे प्रवन्ध की अपेक्षा महसूस हुई।
मनुष्य की तीन बड़ी अपेक्षाएं होती हैं.आश्वास, •विश्वास •विकास।
आश्वास व्यक्ति आश्वासन चाहता है। बुढ़ापा आएगा, तव क्या होगा ? बीमारी आएगी, तब क्या होगा ? कोई कठिन परिस्थिति आएगी, तो क्या होगा ?
१२ : नया मानव : नया विश्व
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org