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________________ चाहिए। वैयक्तिक चेतना को पवित्र बनाना है तो संयम के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। अपनी इच्छा का संयम, अपनी वृत्ति का संयम, मन का संयम, इन्द्रियों का संयम, शरीर का संयम, आहार का संयम। यह संयम हमारी पवित्रता है। यदि संयम के आधार पर सामुदायिक चेतना का विकास किया जाये तो परस्परता का विकास होगा। जहां संयम के अभाव में परस्परता का प्रयत्न होता है, वहां समाज टूट जाता है। दो भाई हैं। संयम नहीं है तो एक भाई सोचेगा-अच्छा अवसर है। भाई तो आ नहीं रहा है। जितना हजम कर सकूँ, अपने खाते में कर लूं। अधिकारी सोचेगा-कोई दूसरा देखने वाला नहीं है। धन सरकारी है, जनता का है, इसे अपना बनाया जा सकता है। इसी चिंतन के आधार पर गबन होता है , भ्रष्टाचार होता है, हेराफेरी होती है। कभी शेयर मार्केट में, कभी बैंकों में और कभी सरकारी खजाने में घोटाले हो जाते हैं। इसका कारण क्या है ? एक ही कारण है कि पवित्रता नहीं है, वैयक्तिक चेतना का विकास नहीं है। वैयक्तिक चेतना का विकास किये बिना, संयम का विकास किये बिना समाज कभी स्वस्थ नहीं रह सकता। दूसरा प्रस्थान प्रश्न यह है-वैयक्तिक चेतना पवित्र कैसे बने, उसका विकास कैसे हो ? संयम कैसे आए ? इच्छा बहुत बलवती है, उसका निरोध कैसे किया जाये ? इसके लिए हमें दूसरे प्रस्थान पर जाना होगा। संयम पहला प्रस्थान है और अभ्यास दूसरा प्रस्थान। अभ्यास के बिना संयम नहीं सधेगा, पवित्रता नहीं आयेगी। संयम को पुष्ट करने के लिए अभ्यास करना होगा। संयम को दुर्बल बनाने वाली हैं मन और वृत्तियों की चंचलता । हम ऐसा अभ्यास करें, जिससे मन की चंचलता कम हो, शरीर और वाणी की चंचलता भी अनावश्यक न हो, वृत्तियों का निरोध किया जा सके। प्रेक्षाध्यान की साधना व्यक्ति को इस भूमिका पर ले जाती है, संयम को पुष्ट करती है। प्रेक्षाध्यान की साधना चित्त की निर्मलता के लिए करें या संयम के लिए, एक ही बात है। जैसे-जैसे चित्त की निर्मलता बढ़ेगी, संयम बढ़ेगा। जैसे-जैसे संयम बढ़ेगा, चित्त की निर्मलता बढ़ेगी। नया मानव : नया विश्व : २१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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