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________________ को क्या बदलेंगे ? मस्तिष्कीय चेतना को बदलने के दो ही तंत्र हो सकते हैं-एक धर्म का तंत्र और दूसरा शिक्षा का तंत्र । यदि शिक्षा-तंत्र और धर्म-तंत्र के लोगों ने ध्यान नहीं दिया तो इतिहास में वे भी इस भयंकर भूल के साक्षी माने जाएंगे। पूज्य गुरुदेव ने इस दिशा में ध्यान दिया है। कोई स्वार्थ नहीं, कोई प्रयोजन नहीं, कुछ लेना-पाना नहीं। मात्र कल्याण भावना की दृष्टि से परिवर्तन की दिशा में गंभीर चिन्तन किया। आचार्य हेमचन्द्र ने भगवान् महावीर की स्तुति में कहा-आप अबन्धु के बन्धु हैं, अकारण वत्सल हैं। अनाहूत सहायस्त्वं, खमकारण वत्सलः यह अहैतुकी वृत्ति परमार्थ की चेतना से स्फुरित होती है। एक ही उद्देश्य है कि मनुष्य चरित्रवान् रहे, समाज चरित्रवान् रहे। शिक्षातंत्र के लोगों को भी यह सोचना चाहिए- मस्तिष्कीय परिवर्तन कैसे हो । उसके लिए हमें नया आयाम खोलना होगा। जो शिक्षा का वर्तमान आयाम है, उससे हटकर कुछ करना होगा। शिक्षा के दो हेतु शिक्षा के दो हेतु बनते हैं-भाषामुक्त शिक्षा और भाषा युक्त शिक्षा । गणित, व्याकरण, तर्क, साइंस-ये सब भाषा के द्वारा पढ़ाये जाने वाले विषय हैं। साइंस में जरूर कुछ भाषामुक्त शिक्षा भी दी जाती है। वहां भाषा कम है, प्रयोग ज्यादा हैं। किन्तु शेष विषयों में भाषायुक्त शिक्षा ही चलती है। भाषायुक्त शिक्षा के साथ भाषामुक्त शिक्षा को जोड़ना जीवन विज्ञान का एक लक्ष्य है। यह शिक्षा का एक नया आयाम है-भाषामुक्त शिक्षा भी शिक्षा के साथ जुड़े। भाषा के प्रयोग की उपयोगिता है, उससे मस्तिष्क को प्रशिक्षित किया जाता है, किन्तु हमारे मस्तिष्क का कुछ भाग ऐसा है, जो भाषा के संकेतों को ग्रहण नहीं करता, स्वीकार नहीं करता। वह अभ्यास और प्रयोग को स्वीकार करता है। मस्तिष्क का दायां पटल भाषा को कम ग्रहण करता है। वह मुख्यतः ग्रहण करता है, अभ्यास को, प्रयोग और प्रवृत्ति को। उसको जागृत करना है तो भाषामुक्त शिक्षण का प्रयोग करना होगा। शिक्षा का नया आयाम : १८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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