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________________ शिक्षा का नया आयाम मनुष्य का जीवन बहुआयामी है। भौतिक, आध्यात्मिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक आदि जीवन के अनेक पक्ष हैं। उसकी व्याख्या किसी एक के पक्ष के आधार पर नहीं की जा सकती। शिक्षा को भी एकपक्षीय नहीं बनाया जा सकता। शिक्षा का काम किसी एक पक्ष को उजागर करना कैसे हो सकता है ? शिक्षा वह है, जो जीवन की सारी अपेक्षाओं को पूरा करे। सामान्यीकरण : विशिष्टीकरण हम कभी सामान्यीकरण की पद्धति से काम लेते हैं और कभी विशिष्टीकरण की पद्धति से। एक डॉक्टर एम. बी. बी. एस. करता है। यह सामान्यीकरण की प्रक्रिया है। फिर स्पेशेलाइजेशन करता हैं, आंख, स्नायु अथवा हृदय का विशेषज्ञ बनता है। शिक्षा के सामान्यीकरण और विशिष्टीकरण दोनों स्वरूपों पर विचार करें। एक विद्यार्थी हायर सेकेंडरी तक अध्ययन करता है, यह एक सामान्यीकरण की प्रक्रिया है। पहले अक्षरबोध-सामान्य ज्ञान करा दिया जाता है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में पढ़ने-लिखने की क्षमता, बौद्धिक विकास, सोचने-विचारने की पृष्ठभूमि निर्मित हो जाती है। विशिष्टीकरण की प्रकिया में वह फिर कॉमर्स लेता है साइंस अथवा साइकोलाजी पढ़ता है। विद्या की सैकड़ों शाखाएं हैं। वहां उसका विशिष्टीकरण होता है। १८४: नया मानव : न Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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