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जायेंगे, कायोत्सर्ग की मुद्रा में शिथिलीकरण कराकर उन शब्दों को हृदयंगम नहीं करा दिया जायेगा और वह भी एक बार में नहीं, महीनों तक निरंतर सातत्य की प्रक्रिया नहीं चलेगी, तब तक जो पढ़ाया जा रहा है, उसके साथ तादात्म्य स्थापित नहीं होगा।
कार्यक्षेत्रीय कौशल के क्षेत्र में जीवनविज्ञान के प्रयोग बहुत सार्थक हैं। आत्मविश्वास के लिए कौन-सा प्रयोग होना चाहिए, निर्णयशक्ति बढ़ाने के लिए कौन-सा प्रयोग करें, स्मृति-विकास और एकाग्रता के लिए कौन-सा प्रयोग करें। इन सबके विकास के लिए जीवनविज्ञान के प्रयोग निर्धारित हैं। उनका दीर्घकालिक अभ्यास बहुत जरूरी है। अगर ऐसा होता है तो कार्य क्षेत्र में ही नहीं, हर क्षेत्र में व्यक्ति सफलता का अनुभव कर सकता है।
कार्यक्षेत्रीय कौशल : १८३
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