SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 199
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ में भी संवेगों की प्रक्रिया पर बहुत कम ध्यान दिया गया। प्रशासनिक परीक्षाओं में प्रशिक्षण का लम्बा कोर्स है किन्तु उसमें भी संवेग-संतुलन का कोर्स समुचित नहीं है। पूज्य गुरुदेव जयपुर में विराज रहे थे। प्रशासनिक परीक्षा के डाइरेक्टर दर्शन करने आए। उन्होंने कहा-'हम राजस्थान प्रशासनिक सेवा के विद्यार्थियों को दो सप्ताह के लिए प्रेक्षाध्यान का प्रयोग करवाना चाहते हैं। गुरुदेव ने अनुमति प्रदान कर दी। प्रशिक्षण के पश्चात् अपने अनुभव सुनाते हुए उन्होंने कहा-हमारा कोर्स बहुत बड़ा है। भारी तनाव रहता था। नींद की गोलियां लेकर हम सोते थे। इससे हमारा स्वास्थ्य भी प्रभावित होता था। हमने दो सप्ताह का प्रयोग किया। अब हमारी मन की एकाग्रता बढ़ गयी है, बहुत थोड़े समय में हम अपना कोर्स पूरा कर लेते हैं। नींद की गोलियों की अब आवश्यकता नहीं रही, सिरदर्द की समस्या भी दूर हो गयी। उनके अनुभवों की एक पूरी फाइल है, उसे पढ़ें तो लगेगा कि आज शिक्षा में इस तत्त्व को कितना उपेक्षित किया गया है। अलग पहचान बन गई जयपुर की ही एक घटना है। राजस्थान पुलिस एकेडेमी के आई. जी. आए। गुरुदेव से प्रार्थना की-हम पुलिस के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक शिविर रखना चाहते हैं। गुरुदेव ने स्वीकार कर लिया। हम लोग दो सप्ताह राजस्थान पुलिस एकेडेमी में रहे। वहां लगभग सौ पुलिस अधिकारियों और जवानों को प्रेक्षाध्यान के प्रयोग सिखाए। दो सप्ताह चले उस शिविर की अनेक आश्चर्यजनक घटनाएं हैं। पूज्य गुरुदेव मेवाड़ की यात्रा कर रहे थे। मेवाड़ और मारवाड़ दोनों के बीच में स्थित अरावली की उपत्यका में एक गांव है भीम। वहां गुरुदेव पधारे। दूसरे दिन जैसे ही प्रस्थान किया, वहां के सब इंसपेक्टर ने दर्शन किए। उसने कहा-महाराज ! आपने मुझे पहचाना ? मैंने आपके उस जयपुर शिविर में भाग लिया था। उसने बताया-मैं यहां नियुक्त हूं। भीम ट्रकों का एक बड़ा स्टैण्ड है। इस कारण यहां शराब का अड्डा भी है, और भी अनैतिक धंधे स्वाभाविक हैं । भीम के कुछ नागरिक भी उपस्थित थे। वे बोले-गुरुदेव ! इतना अच्छा थानेदार हमारे इस इलाके में कभी नहीं आया। यहां यदि कार्यक्षेत्रीय कौशल : १८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy