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________________ पर बैठना चाहता है। वह ऑफिस में जाकर काम करना चाहता है, खेत-खलिहान में काम करना पसंद नहीं करता। बड़ी विचित्र बात है-किसान का बेटा भी नौकरी करना पसंद करेगा, खेती करना पंसद नहीं करेगा। कोई भी अपने पुस्तैनी धंधे से जुड़ना नहीं चाहता। बाबूगिरी का इतना प्रबल आकर्षण है। इसका कारण क्या है ? एक ऐसा मानदण्ड बन गया, बड़प्पन की झूठी कसौटी बन गई कि खेती करने वाला छोटा होता है। वास्तव में यदि कर्म की दृष्टि से देखा जाए तो खेती करने वाला सबसे उत्तम आदमी होता है। कहा गया है उत्तम खेती मध्यम बान 'निषिध चाकरी भीख निदान । जीवन का आधार है खेती जैन दर्शन ने अहिंसा पर बहुत विचार किया। आचार्य जिनसेन ने लिखा-खेती करना अल्प सावध है, अल्पारंभ है और ब्याज का धंधा महाआरंभ है, महान् हिंसा है। जिसमें कोई प्रत्यक्ष हिंसा नहीं है, उसे महारंभ माना गया और खेती को अल्पारंभ । बात कितनी विचित्र-सी लगती है। कृषि, वाणिज्य, गो पालन आदि आदिकर्म माने गए हैं। किन्तु आज युग इतना बदल गया है कि व्यक्ति घर में निकम्मा बैठ जायेगा, लेकिन खेती करना नहीं चाहेगा। जबकि खेती ही जीवन का आधार है। सारे खाद्य-पदार्थ खेती से ही निःसृत हैं। कृषि के बिना कुछ होता ही नहीं है। आज के मनुष्य ने कृषि को हेय मान लिया। इसका परिणाम है-बेरोजगारी की समस्या। शिक्षा के साथ यह जो अहं और बड़प्पन की झूठी बात चल पड़ी, इससे शिक्षा दूषित हुई है। पहली आवश्यकता संवेग संतुलन सबसे पहली आवश्यकता है। आदमी का संपूर्ण जीवन ही संवेग के आधार पर चलता है। मनुष्य ऊपर से शान्त दिखाई देता है, किन्तु उसके भीतर संवेगों का एक ज्वार है। संवेगों से प्रभावित आदमी मकड़ी के जाल-सा ताना-बाना बुनता रहता है। आश्चर्य तो यह है कि शिक्षा के क्षेत्र १८० : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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