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कार्यक्षेत्रीय कौशल
हर व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र का चुनाव करता है। कार्य करना अलग बात है और दक्षता के साथ करना बिल्कुल अलग बात है। एक व्यक्ति डॉक्टर है, एक इंजीनियर है, प्रोफेसर अथवा वैज्ञानिक है। अलग-अलग कार्यक्षेत्र हैं और हर क्षेत्र में हजारों-हजारों व्यक्ति लगे हुए हैं।
आत्मविश्वास एक व्यक्ति अपने कार्य में सफल होता है और बड़ी दक्षता के साथ कार्य करता है। एक व्यक्ति कार्य ठीक नहीं कर पाता, असफल हो जाता है। केवल चिकित्सा में कुशल होना ही पर्याप्त नहीं है, उसके साथ जो कार्यक्षेत्रीय दक्षता भी होनी चाहिए। डॉक्टर ने रोगी को देख लिया। उसे दवा देनी है। मन में संशय हो गया-यह दवा दूं या नहीं, इससे ठीक हो जाएगा या नहीं, बस इसी में चित्त उलझ जाता है। ऐसा चिकित्सक सफल नहीं हो सकता। कार्यक्षेत्रीय कौशल के लिए आवश्यक है आत्मविश्वास। यदि आत्मविश्वास नहीं है तो सफल नहीं हो सकता। एक डॉक्टर अपने कार्य में, चिकित्सा में तो बहुत कुशल था किन्तु उस क्षेत्र का कौशल उसको प्राप्त नहीं था। उस चिकित्सक ने तीन दिन जीवन विज्ञान का प्रयोग किया। उसे अभुभव हुआ-आत्मविश्वास बढ़ा है और जो संशयशीलता की जो वृत्ति थी, उसमें परिवर्तन आया
है।
कार्यक्षेत्रीय कौशल : १७५
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