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निर्णय की शक्ति सफलता का दूसरा सूत्र है निर्णायक शक्ति का विकास। बहुत लोग निर्णय नहीं ले पाते। निर्णय की शक्ति कमजोर होती है। एक अधिकारी को किसी संदर्भ में निर्णय लेना है। सहयोगी इस प्रतीक्षा में हैं-इसका निर्णय जल्दी होना चाहिए, किन्तु दिन पर दिन बीतते जाते हैं और निर्णय हो ही नहीं पाता।
आत्मविश्वास और निर्णय लेने की शक्ति-ये दोनों सफलता के लिए बहुत जरूरी हैं। जो निर्णय लेना हो, वह तत्काल लिया जाये। दो मिनट का अन्तराल बहुत बड़ी गड़बड़ी कर देता है । निर्णय की शक्ति का विकास, यह सफलता का बहुत बड़ा सूत्र है। एकाग्रता का विकास तीसरा सूत्र है एकाग्रता। एक व्यक्ति कार्य करने बैठा, एक काम शुरू किया। यदि एकाग्रता नहीं है तो कुछ देर में दूसरा काम शुरू कर देगा, फिर तीसरा काम शुरू कर देगा। फ्रांस के एक वैज्ञानिक ने अपने जीवन में विज्ञान के विभिन्न विषयों पर नौ सौ लेख लिखे, बहुत महत्त्वपूर्ण लेख लिखे । कहा गया-अगर वह एक दिशा में काम करता तो दुनिया का सबसे बड़ा वैज्ञानिक होता किन्तु एकाग्रता के अभाव में असफल हो गया। अनेक लोग इस समस्या के कारण सफल नहीं हो पाते। जिस समय जो काम करें, उस समय उसी कार्य के प्रति समर्पित हो जाना, दत्तचित्त हो जाना, अवधान करना, बहुत बड़ी बात है। जैन मुनियों में अवधान विद्या का प्रयोग चलता है। अवधान, प्राणिधान और समाधान-एकाग्रता का एक प्रयोग है। सौ प्रश्न पूछे गये। घण्टा-दो घण्टा या चार घण्टे बाद सारे प्रश्नों को उत्तरित कर देना, समाहित कर देना, एकाग्रता का प्रयोग है। कार्यक्षति का बहुत बड़ा हेतु है मन का विक्षेप। चंचलता की समस्या आम है। जिस कार्य को करने में एक घण्टा का समय लगना चाहिए, मन की चंचलता है तो चार घण्टे का समय लग जायेगा।(यदि मन की एकाग्रता है तो उसी कार्य को आधे घण्टे में ही पूरा किया जा सकता है।
१७६ : नया मानव : नया विश्व
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