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________________ मीमांसा है। अर्वाचीन स्रोत अनेक हैं। उन स्रोतों की चर्चा के अनेक सन्दर्भ श्वासप्रेक्षा और कायोत्सर्ग-ये दो प्रेक्षाध्यान के आधारभूत तत्त्व हैं। इनका स्रोत आवश्यक नियुक्ति और कायोत्सर्ग शतक मे मिला। वहां कहा गया-श्वास को सूक्ष्म करें, कायोत्सर्ग करें। श्वास को सूक्ष्म करना, श्वास को मन्द करना एक ही बात है। श्वास को सूक्ष्म बना लें और उसकी गति को मन्द कर दें, कायोत्सर्ग में रहे। कायोत्सर्ग और दीर्घश्वास प्रेक्षा का यह महत्त्वपूर्ण आधार-सूत्र है। आधार शरीरप्रेक्षा का शरीरप्रेक्षा का सूत्र आचारांग सूत्र से मिला । आचारांग का सूत्र है-जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणेतिमन्नेसि। इस विग्रह, शरीर का जो वर्तमान क्षण है, उसका अन्वेषण करें। शरीर के वर्तमान क्षण का अन्वेषण करना-इस समय शरीर में क्या परिणमन, परिवर्तन हो रहा है ? कौन-सा जैविक, रासायनिक परिवर्तन हो रहा है ? यह शरीर प्रेक्षा है और इसका बोध आचारांग सूत्र में स्पष्ट मिलता है। श्वास प्रेक्षा और शरीर प्रेक्षा-ये बौद्ध साधना पद्धति में आनापानसती और कायविपश्यना के नाम से प्रचलित हैं। हमने उनका भी अध्ययन किया, प्रयोग भी किया पर प्रेक्षाध्यान में इनके जो प्रयोग हैं, वे विपश्यना से बहुत भिन्न हैं। आधार चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा का एक प्रयोग है चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा। प्रेक्षाध्यान में तेरह चैतन्य केन्द्र (साइकिक सेण्टर) स्वीकृत हैं। हठयोग में छह चक्र माने गए हैं, कहीं-कहीं नौ चक्र माने गए हैं। प्रेक्षाध्यान में कुछ नए चैतन्य केन्द्र खोजे गए। ये कैसे खोजे गए, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। बस आ गए, किन्तु इनका स्रोत फिर खोजा गया। आखिर ये कहां मिलेंगे ? हठयोग और तंत्रशास्त्र में भी नौ ही हैं। हमने तेरह निर्धारित किए हैं। क्या ये निराधार हैं ? इनका आधार कहां मिलेगा ? जब इस पर ध्यान दिया, खोजा तो पाया-नंदीसूत्र में सैकड़ों प्रेक्षाध्यान के मूलस्रोत : १५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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