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________________ केन्द्रित करें और उन्हें समझने का प्रयत्न करें। फिर मज्जा पर ध्यान केन्द्रित करें, शुक्र पर ध्यान करें। इस प्रकार क्रमशः सातों धातुओं पर ध्यान केन्द्रित करें। यह है शरीर प्रेक्षा के अन्तर्गत सप्तधातुओं को समझने का प्रयोग। प्राणप्रेक्षा एक प्रयोग है प्राणप्रेक्षा। सबसे ज्यादा शक्तिशाली प्रयोग है प्राणप्रेक्षा। प्राण पर ध्यान केन्द्रित करना बड़ा जटिल है। मेडिकल साइंस में शरीर, मन और इन्द्रियां-ये सारे विषय आए हैं किन्तु प्राण का विषय अभी भी अछूता है। वाइटल एनर्जी, वाइटल फोर्स-ऐसे शब्द भी चलते हैं किन्तु प्राणपथ और प्राण का प्रवाह कैसा है, इस पर अभी कोई विशेष काम नहीं हुआ है। इस दिशा में ध्यान भी नहीं गया। इस पर एक्युप्रेशर और एक्युपंक्चर पद्धति वालों ने काफी ध्यान दिया है। योग में ईड़ा, पिंगला, सुषुम्ना आदि के रूप में इनका दर्शन है। शरीर में बहत्तर हजार नाड़ियां बतलाई गई हैं। वे नाड़ियां शरीर का अवयव होती तो डॉक्टर उन्हें पकड़ लेते। आज का डॉक्टर शरीर के बारे में जितना जानता है, दूसरा नहीं जानता होगा। किन्तु प्राणतंत्र शरीर से भी परे है। वह कोई शरीर का अवयव नहीं है। हमारे शरीर में प्राणप्रवाह के हजारों मार्ग हैं। प्राण को समझने का मतलब अनेक स्थितियों को समझना है। असंतुलित है प्राण हम स्वास्थ्य का निदर्शन लें। आज बहुत-से यंत्र विकसित हो गए हैं। निदान करने के इतने उपकरण बने हैं, जितने पहले शायद कभी नहीं रहे। इतनी बड़ी-बड़ी मशीने हैं, जिनमें शरीर के जर्रे-जर्रे को देखा जा सकता है, परखा जा सकता है। मस्तिष्क और हृदय के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें तैयार हैं। किन्तु एक विडम्बना है-बहुत-सारे रोगी यह कहते हैं-हमने सारे चेकअप-टेस्ट करा लिए। डॉक्टर कहते हैं-कोई बीमारी नहीं है। यंत्र बतलाते हैं- कोई बीमारी नहीं है किन्तु मैं बहुत कष्ट भोग रहा हूं। हम उन्हें प्राण का प्रयोग बताते हैं। उन्हें यह समझाते हैं, तुम्हारी बीमारी जीवन-दर्शन : १४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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