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________________ संदर्भ नाक का हम नाक को देखें । इसका सीधा काम तो गंध लेना है पर इतना ही नहीं है। गंध का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। गंध के द्वारा मस्तिष्क वहुत प्रभावित होता है। नाक जितना संयत रहेगा, नाक की साधना जितनी अच्छी रहेगी, प्राणकेन्द्र पर जितना ध्यान का अभ्यास होगा, उतना ही मस्तिष्क पर भी हमारा नियंत्रण रहेगा। नाक, आंख-ये सारे एक प्रकार से मस्तिष्क के स्विचबोर्ड हैं। कब स्विच ऑन करें और कब ऑफ करें, इस पर सारा निर्भर है। स्विच ऑन किया, बिजली जल गई, ऑफ किया, बुझ गई। जो इन स्विच बोर्डों को जान लेता है, वह मस्तिष्क के रहस्यों को अनावृत करने में सफल हो सकता है। इन्द्रियां प्रसन्न हैं तो मस्तिष्क प्रसन्न रहेगा। इन्द्रियां अप्रसन्न हैं तो मस्तिष्क में भी बाधा आ जाएगी। संदर्भ कान का कान हमारा बहुत महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। इसका मस्तिष्क के साथ, नाड़ीतंत्र और पूरे शरीर के साथ संबंध जुड़ा हुआ है। एक्यूप्रेशर और एक्युपंक्चर की पद्धति में इस पर बहुत ध्यान दिया गया है। यह माना जाता है-कान एक गर्भस्थ बच्चा है। गर्भ में बच्चे का जो आकार होता है, कान का वही आकार है। जितनी क्षमताएं हमारे शरीर की हैं, वे सब कान में निहित हैं। हजारों-हजारों तंतु इससे जुड़े हुए हैं। यह शरीर शास्त्र का विषय है किन्तु इसमें कितने प्वाइण्ट हैं, कितने केन्द्र हैं, ये शरीर शास्त्र से परे का विषय बन जाते हैं। जो व्यक्ति कान को प्रसन्न रखना नहीं जानता, जीवन को प्रसन्न नहीं रख सकता। संदर्भ आंख का आंख का काम देखना है, लेकिन ध्यान करने का जितना अधिक अच्छा केन्द्र आंख है, शायद उतना अच्छा केन्द्र दूसरा कम होगा। आंख दूसरों को देखती है। ध्यान का प्रयोग करें और आंख में ध्यान केन्द्रित करें, आंख खुली रहे। ध्येय वस्तु आंख को बनाएं, तो ध्यान बहुत अच्छा होगा और मन इतना शान्त हो जाएगा, ऐसा लगेगा जैसे मन में कोई उत्तेजना ही नहीं है। १४४ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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