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में लाइट नहीं है। ड्राइवर बोला-सामने से हट जाओ, इसमें ब्रेक भी नहीं है। नीचे आ जाओगे।'
वह कार कितनी खतरनाक होती है, जिसमें लाइट और ब्रेक दोनों नहीं हैं। वह आदमी भी बहुत खतरनाक होता है, जिसका अपने भावों पर कण्ट्रोल नहीं है। मष्तिष्क का अग्रभाग ब्रेक का स्थान है। यही लाइट है और यही ब्रेक है। इस स्थान पर ध्यान कर, हम अपनी नियंत्रण-शक्ति को बढ़ा सकते हैं, अपनी अन्तर्दृष्टि को जागृत कर सकते हैं। प्रेक्षाध्यान शिविरों में साधक को इसीलिए दीर्घश्वास, कायोत्सर्ग और उसके बाद ज्योतिकेन्द्र की प्रेक्षा का प्रयोग कराया जाता है। इससे पीनियल और पिट्यूटरी-दोनों प्रभावित होती
संगम बिन्दु एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है शान्तिकेन्द्र का स्थान। यहां ध्यान करने से हमारी भावधारा परिष्कृत होती है। एक प्रश्न दार्शनिकों और योग साधकों के सामने बहुत चिरकाल से रहा-आत्मा का या सूक्ष्मजगत् का, शरीर या स्थूल जगत् का संगम बिन्दु कौन-सा है ? कहां वे मिलते हैं ? प्लेटो आदि यूनानी दार्शनिकों ने कहा-आत्मा का स्थान है पीनियल ग्लैण्ड। स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर का संगमबिन्दु यह हाइपोथेलेमस है, जहां स्थूल और सूक्ष्म जगत् का संगम होता है। इसलिए इस स्थान को जानना-पहचानना बहुत महत्त्वपूर्ण है। मस्तिष्क विज्ञानियों ने हाइपोथेलेमस पर काफी काम किया है, उसकी कुछ पहचान की है, लेकिन अभी भी काफी काम बाकी है। मस्तिष्क पर हजारों-हजारों वैज्ञानिकों ने शोध की है, लेकिन अभी तक इसके दस-बीस प्रतिशत रहस्य ही उद्घाटित हो सके हैं। अभी भी बहुत कुछ अनुद्घाटित है। यह मस्तिष्क का यंत्र इतना जटिल है। कर्मशास्त्र की भाषा में कहा जा सकता है-कर्म के असंख्य स्थान हैं, उतने ही स्थान इस मष्तिष्क में हैं। एक्यूप्रेशर में प्वाइण्ट खोजे जाते हैं, कौन-सा प्वाइण्ट कहां का प्रतिनिधित्व करता है। अंगूठे में भी पिट्यूटरी को प्रभावित करने वाला प्वाइण्ट है। आंख ऊपर है, किन्तु अंगुली में भी उसे प्रभावित करने वाला स्थान है। ऊपर के अंगों को प्रभावित करने वाले केन्द्र हमारे पैर के तलवों में भी विद्यमान हैं।
१३० : नया मानव : नया विश्व
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