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उभरता है यह प्रश्न
क्या पूरा होगा शान्ति का स्वप्न ?
छटेंगे भय के बादल ? सूखेगा दुश्चिन्ता का दलदल ? जीवन धारा का निर्मल बहेगा स्रोत कल-कल ?
महाप्रज्ञ देते हैं समाधान जिसका स्रोत है गहन संधान
नए मनुष्य की रचना नए विश्व की संरचना जिसकी वैयक्तिक अभिधा है मानव और विश्व सामुदायिक अभिधा है
विश्व मानव ।
जो न केवल आध्यात्मिक हैं, न केवल वैज्ञानिक
किन्तु है आध्यात्मिक वैज्ञानिक जिसकी संरचना के हैं तीन प्रस्थान अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान, जीवनविज्ञान ।
पूज्य गुरुदेव का अनुग्रह महाप्रज्ञ का अभिग्रह
इक्कीस दिवसीय प्रवचन माला नए मानव की आधारशिला जिस पर खड़ा हो सकता है
मानवता का भव्य प्रासाद
एक नया आशावाद समाज और विश्व के लिए व्यक्ति और समष्टि के लिए
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