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जो बन सकता है त्राण गति, प्रतिष्ठा और प्राण।
• इक्कीसवीं शताब्दी का मनुष्य कैसा हो उसका भविष्य प्रस्तुत पुस्तक 'नया मानव : नया विश्व' एक प्रकल्प एक संकल्प एक अभिनव उपक्रम है विजय के लिए अभिक्रम है। 'नया मानव : नया विश्व' पढ़ें, अपना उज्जवल भविष्य गढ़ें।
मुनि धनंजयकुमार
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