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शेष रही है और न चिन्तन । मन बिलकुल खाली हो गया है । अगर इसे अभ्यास के द्वारा दस मिनट तक ले जाएं तो ऐसा लगेगा, जैसे मन को इतना हैवी नाश्ता करा दिया है कि पूरे दिन खाने की जरूरत नहीं है ।
सर्वेन्द्रियसंयममुद्रा
एक प्रयोग है सर्वेन्द्रिय संयम मुद्रा का । हमारी इन्द्रियां मन की दुर्बलता को बढ़ाती हैं । ये मन को विषयों की ओर ले जाती हैं, चंचल बनाती हैं और मन की शक्ति को क्षीण करती रहती हैं । हम एक बार बाह्य जगत् से अपना संपर्क काट दें और इन्द्रियों को विश्राम दें तो मन का अपने आप विश्राम हो जाएगा । वह प्रयोग है-दो अंगूठों को कान में डालें। आंखों को बन्द कर दो अंगुलियां उस पर रखें, दो अंगुलियों को नाक पर और चार अंगुलियों को होंठों पर रखें । इस प्रकार कान, आंख, नाक और मुंह बन्द कर सर्वेन्द्रिय संयम मुद्रा का प्रयोग किया जाता है। इससे लगेगा - बाह्य जगत् से हमारा संपर्क टूट गया है और यहां तक भी अनुभव हो सकता है कि हम स्वयं हैं ही नहीं। पांच मिनट में ऐसा लगेगा, जैसे तीन घण्टे का विश्राम कर उठे हैं । यह द्वैत से अद्वैत में जाने का प्रयोग है, भीड़ में अकेले रहने का प्रयोग है ।
अनुभव करें दुःखातीत स्थिति का
प्रेक्षाध्यान के ये सारे प्रयोग मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। इनके द्वारा हम अपनी मनःस्थिति का निर्माण कर सकते हैं, मानसिक विकास कर सकते हैं। आज मन को दुर्बल बनाने वाली जो परिस्थितियां हैं, जिन्हें मनुष्य ने पकड़ रखा है, जिनके कारण मनुष्य मानसिक रोगों को भुगत रहा है, उन परिस्थितियों को झेल सकते हैं। जहां-जहां भौतिकवाद बढ़ा है, वहां-वहां मानसिक बीमारियां बढ़ी हैं। भारत विकासोन्मुख देश है। यहां भी मनोरोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस सारे सन्दर्भ में मानसिक स्वास्थ्य पर विचार करना और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जो अनौपचारिक उपाय हैं, उन्हें जानना नितान्त आवश्यक है । इनके द्वारा हम अपने मनोबल को विकसित कर सकते हैं, कष्टों और दुःखों की दुनिया में भी दुःखातीत स्थिति का अनुभव कर सकते हैं
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मानसिक स्वास्थ्य : १२१
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