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________________ मन के लिए सबसे बड़ा टॉनिक है। उससे इतना पोषण मिलता है, जितना और किसी चीज से नहीं। टॉनिक और च्यवनप्राश विशेष ऋतुओं में सेवन की चीज हैं, किन्तु दीर्घश्वास का प्रयोग तो बारह महीने किया जा सकता है । दिन में दो या तीन बार दस-दस मिनट दीर्घ श्वासप्रेक्षा का प्रयोग करें, मन को बहुत विश्राम मिलेगा। जैसे गर्मी के मौसम में वातानुकूलित कक्ष में शरीर शान्ति का अनुभव करता है, वैसे ही दस-दस मिनट के प्रयोग से अनुभव होगा - मन एयरकण्डीशन कक्ष में चला गया है 1 मनोगुप्ति निर्विचार अवस्था इससे भी आगे की अवस्था है । यदि वह आ जाए तो और ज्यादा पोषण मिलेगा। जो अपना मनोबल बनाए रखना चाहता है, उसका विकास चाहता है, उस व्यक्ति को दस-बीस मिनट निर्विचार रहने का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। जैन पारिभाषिक शब्दावली में इसे मनोगुप्ति कहा जाता है। मन का संवरण करें, न चिन्तन, न स्मृति और न कल्पना, न तर्क-वितर्क, कुछ भी नहीं । इस अवस्था का अनुभव मन के स्वास्थ्य को संजीवन देता है । लेश्या ध्यान एक प्रयोग है सफेद और हरे रंग के ध्यान का । हरा रंग अन्तर्मुखी बनाने वाला रंग है। यह विजातीय तत्त्वों को दूर करता है । जब दर्शन केन्द्र पर हरे रंग का ध्यान करेंगे तो मन बिलकुल शान्त बन जाएगा, बाहर की सारी बातों से अपने को दूर कर लेगा । ललाट या ज्योतिकेन्द्र पर सफेद रंग का ध्यान भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है । महाप्राण ध्वनि एक है महाप्राण ध्वनि का प्रयोग । महाप्राण ध्वनि हमारे मस्तिष्क के ज्ञानतंतुओं को शक्तिशाली बनाती है । यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा प्रयोग है । जैसे भंवरा गुंजार करता है, वैसे ही सिर्फ ध्वनि होती है, शब्द नहीं होता। जब हम यह ध्वनि करेंगे तो हमे स्वयं अनुभव होगा-न कल्पना I १२० : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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