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स्मृति मानसिक स्वास्थ्य की चौथी कसौटी है-स्मृति अच्छी होना। जब-जब विकार आता है, मानसिक अवसाद (डिप्रेसन) होता है, मानसिक रोग का लक्षण प्रकट होता है तो स्मृति भी विचलित हो जाती है। स्मृति का भ्रंश न होना मानसिक स्वास्थ्य का लक्षण है। मन को संभालें व्यक्ति को मन की बीमारी जितनी सताती है, उतनी शरीर की बीमारी नहीं सताती। हमने बहुत-से मानसिक रोगियों को देखा। प्रेक्षाध्यान के शिविर में बहुत-से मानसिक रोगी आते हैं। कुछ लोगों की मानसिकता को देखकर ऐसा लगता है, जैसे उनके लिए सारी दुनिया कष्टों की दुनिया है। सब कुछ पास में है, किन्तु मन की स्थिति गड़बड़ाने के कारण उनके लिए कुछ भी नहीं है। सबसे ज्यादा जरूरी है मन को संभालना। आदमी शरीर को ज्यादा संभालता है, मन को कम संभालता है। समझदार व्यक्ति शरीर पर अगर बीस प्रतिशत ध्यान देता है तो मन पर पचास प्रतिशत ध्यान देगा। आखिर शरीर का संचालक मन ही तो है। अगर वह स्वस्थ नहीं है, तो स्वास्थ्य कैसे रहेगा ?
अमोघ सूत्र प्रेक्षाध्यान और मानसिक स्वास्थ्य-इन दोनों के सम्बन्ध की मीमांसा करें। मन के बल को बनाए रखना है तो मन को खाली रखना बहुत जरूरी है। मन से निरंतर काम लेते रहेंगे, निरंतर स्मृति, चिन्तन और कल्पना करते रहेंगे तो मन बीमार हो जाएगा। मानसिक स्वास्थ्य का एक अमोघ सूत्र है मन को खाली रखना, मन को विश्राम देना। सोचना अच्छा है पर निरंतर सोचना अच्छा नहीं है। कल्पना करना अच्छा है, पर अतिकल्पना हानिकारक है, मानसिक बीमारी का लक्षण है। स्मृति, कल्पना और चिन्तन का नियमन करें, मन को विश्राम दें, मन की शक्ति बढ़ेगी, मन स्वस्थ रहेगा। ___ एक उपाय है श्वासप्रेक्षा का प्रयोग। जिस व्यक्ति ने दीर्घ श्वासप्रेक्षा का प्रयोग किया है, वह मन को खाली रख सकता है। एकाग्रता का अभ्यास
मानसिक स्वास्थ्य : ११६
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