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सकता, समझा नहीं सकता। सहिष्णु वही हो सकता है, जिसमें सत्व गुण प्रधान होता है। धृति मानसिक स्वास्थ्य की दूसरी कसौटी है-धृति। धैर्य कितना है ? धीर वह है, जो कठिन स्थिति आने पर कभी डोलता नहीं, अस्थिर नहीं होता। जो अप्रिय बात सुनकर भी शान्त रहता है, धैर्य नहीं खोता, वह धृतिमान होता है। धैर्य का निदर्शन है सुमेरु। प्रलयकाल की हवा चलने पर भी सुमेरु पर्वत कभी कांपता नहीं है, डोलता नहीं हैं। भक्तामर स्त्रोत में ऋषभ की स्तुति इन शब्दों में की गई-इसमें आश्चर्य क्या है कि आपको देवांगनाएं विचलित नहीं कर सकीं। पर्वत को चलित करने वाली प्रलयकाल की हवा क्या सुमेरु पर्वत को प्रकंपित कर पाती है ?
चित्रं किमत्र यदि ते त्रिदशांगनाभिर् नीतं मनागपि मनो न विकारमार्गम् । कल्पान्तकालमरुता चलिताचलेन,
किं मंदरादिशिखरं चलितं कदाचित् ।। धीर की एक सुन्दर परिभाषा मिलती है-विकार का हेतु होने पर भी जिसका मन विकृत नहीं होता, वह धीर है।
विकारहेतौ सति विक्रियन्ते, येषां न चेतांसि त एव धीराः। यह धृति मानसिक स्वास्थ्य का लक्षण है। जिसमें धृति आ गई, उसकी कठिनाइयां पार हो गईं, दुःख पार हो गए।
बुद्धि
मानसिक स्वास्थ्य की तीसरी कसौटी है बुद्धि का भ्रंश न होना। बुद्धि का काम है निर्णय करना, विवेक करना, किन्तु मनोबल उसका बड़ा सहयोगी बनता है। मानसिक स्वास्थ्य अच्छा है तो व्यक्ति अच्छा निर्णय लेगा, अच्छा बौद्धिक काम कर पाएगा। यदि वह ठीक नहीं है तो निर्णय शक्ति कमजोर हो जाएगी, व्यक्ति सही निर्णय नहीं ले पाएगा।
११८ : नया मानव : नया विश्व
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