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प्राणायाम स्वास्थ के लिए
प्राणायाम भी बहुत जरूरी है। इसके दो रूप हैं - एक प्राणायाम होता है शरीर के लिए और एक प्राणायाम होता है ध्यान के लिए । केवल शरीर के लिए प्राणायाम न हो, कोरा शारीरिक प्राणायाम न हो, ध्यान के लिए भी प्राणायाम हो, अन्यथा मन की चंचलता अधिक बढ़ सकती है । तुम उत्तीर्ण हो
तक्षशिला विश्वविद्यालय की घटना है । आचार्य ने कहा- जाओ, तक्षशिला के परिपाशर्व में घूमो और ऐसी जड़ी खोज कर लाओ, जिसका औषधि के रूप में कोई उपयोग न हो। पूरे एक वर्ष का समय दिया । शिष्य निकल पड़े। गुरु का आदेश था । बारह महीना बिता कर आए और खाली हाथ आए। गुरु ने कहा- तुम सबके सब खाली हाथ कैसे आए ? क्या एक भी जड़ी नहीं मिली ? शिष्यों ने कहा- हां, गुरुदेव ! नहीं मिली। बहुत प्रयत्न किया, खोजा पर एक भी जड़ी हमें ऐसी नहीं मिली, जिसका औषधि के रूप में कोई उपयोग न हो। गुरु ने कहा - 'तुम सब उत्तीर्ण हो ।'
एक भी जड़ी ऐसी नहीं है, जो औषधि न हो। हम भी कह सकते हैं कि ऐसा कोई आसन नहीं हैं, जो औषधि न हो। हर आसन औषधि है । कोई कहीं काम करता है, कोई कहीं काम करता है । हम इन्हें ठीक से जान लें और इनका सम्यक् प्रयोग करें तो बहुत लाभ उठाया जा सकता है उपसंपदा, आसन, प्राणायाम और मानसिक पवित्रता - इन सबको समझ कर हम शरीर पर विचार करें तो शायद अपने स्वास्थ्य को अपेक्षाकृत बहुत अच्छा, शक्तिशाली, उपयोगी और कार्यकारी रख सकते हैं ।
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शारीरिक स्वास्थ्य : १११
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