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है, मनोकायिक. बीमारी है । उसके पीछे प्रमुख कारण है दूसरों के प्रति हमारा शत्रुता का भाव, अनिष्ट चिन्तन, अनिष्ट विचार । भीतर ही भीतर जहर का ऐसा चक्र चलता है, जो शरीर को जर्जर बना देता है । स्वस्थ वही रह सकता है, जो मैत्री का जीवन जीता है ।
भावक्रिया
स्वास्थ्य का एक सूत्र है भावक्रिया । भोजन करते समय केवल भोजन करना चाहिए। उस समय अन्य चिंतन नहीं करना चाहिए । चरक कहते हैं - प्रसन्नमना भुंजीत - खाते समय बिल्कुल मन प्रसन्न रहें और चिन्ता से दिमाग खाली रहे । यह स्वास्थ्य का लक्षण है ।
मितभाषण
स्वास्थ्य का एक सूत्र है - मितभाषण । वाणी का संयम रहें। दिन भर का अनुपात देखें कि कितना बोले और कितना मौन रहे । हमारी शक्ति के व्यय के तीन बड़े साधन बनते हैं - ज्यादा सोचना, ज्यादा बोलना और अतिरिक्त प्रवृत्ति करना । वाणी का संयम भी हमारे स्वास्थ्य का एक बड़ा लक्षण है।
निद्रा
आयुर्वेद में स्वास्थ्य के तीन उपस्तंभ बताए गए हैं । प्राणशक्ति हमारे जीवन का स्तंभ है, जो स्वास्थ्य को बनाए रखती है । उसके तीन उपस्तंभ हैं- आहार, नींद और ब्रह्मचर्य । नींद बहुत आवश्यक है। इसके बिना स्वास्थ्य अच्छा नहीं बनता। एक दिन नींद नहीं आती है तो स्वास्थ्य गड़बड़ा जाता है । यदि दो-चार दिन नींद न आए तो व्यक्ति बहुत परेशान हो जाता है । आज अनिद्रा की बीमारी बहुत व्यापक बन गई है । जैसे तनाव की बीमारी विश्वव्यापी बन गई है, वैसे ही यह अनिद्रा की बीमारी भी विश्वव्यापी बनती जा रही है । इस बीमारी को मिटाने के लिए नींद की गोलियों का आविष्कार हुआ । आज इन गोलियों की बिक्री इतनी ज्यादा है कि नींद की गोली बनाने वाली कंपनियां अरबों-खरबों डालर कमा रही हैं ।
१०८ : नया मानव : नया विश्व
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