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________________ संप्रेषण का नियोजन सेल्फ मैनेजमेंट का एक सूत्र है - संप्रेषण का नियोजन । हम अपनी बात को दूसरों तक कैसे पहुंचाएं, उसकी भी एक कला है। दूसरों के साथ कैसे व्यवहार करें ? स्व-प्रबन्धन का यह सूत्र व्यक्ति के व्यवहार में प्रतिबिम्बित होता है । द्राविडी प्राणायाम इन सारी विषय-वस्तुओं पर स्व-प्रबन्धन में विचार किया गया। इन सबके अध्ययन से जो निष्कर्ष निकलता है, वह यह है कि इधर से जाए या उधर से जाए, आखिर एक जगह पर ही पहुंचेंगे। आत्मा तक हर व्यक्ति को पहुंचना है । उस तक पहुंचने का रास्ता खोजें, स्व-प्रबन्धन अपने आप हो जाएगा। जिन लोगों ने अध्यात्म को नहीं समझा, ध्यान के मर्म को नहीं समझा, उन्हें यह द्राविडी प्राणायाम करना पड़ रहा है । हम ध्यान के द्वारा समझें तो बात सरल हो जाती है। कठिनाई है सम्यक् चिन्तन करने की । समय पर सम्यक् चिन्तन होना बहुत मुश्किल है। यदि होता है तो सफलता मिल जाती है । भाई नहीं मिलेगा पति, पुत्र और भाई - तीनों बन्दी बन गए। केवल एक महिला बची । उसने अधिकारी से कहा- आपने तीनों को बन्दी बना लिया। उनका कोई अपराध भी नहीं है। अब आप रहम कर इन्हें मुक्त करो । महिला पर अधिकारी को दया आ गई । वह बोला- तीनों में से एक को छोड़ सकता हूं, बोलो किसे छोडूं । महिला दो मिनट चिन्तन करने के बाद बोली- मेरे भाई को आप छोड़ दें। अधिकारी बोला- भाई को क्यों ? पति या पुत्र को क्यों नहीं ? वह महिला उस परिवार से संबद्ध थी, जिसमें पुनर्विवाह भी सम्मत था । उसने कहा- पति नहीं रहेगा तो फिर विवाह कर लूंगी । पुत्र नहीं रहा तो विवाह के बाद फिर हो जाएगा । पर मेरी मां और पिता स्वर्गवासी हो गए हैं। मुझे अब दूसरा भाई नहीं मिलेगा इसलिए आप मेरे भाई को छोड़ दें । अधिकारी उसकी बात से प्रसन्न हो गया और उसने तीनों को मुक्त कर दिया । १०० : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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