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________________ होगा, ध्यान का महत्त्वपूर्ण सूत्र समझ में आ जाएगा। हम कार्य से व्यस्त नहीं बनते। हमारी व्यस्तता व्यर्थ के विकल्पों से बनती है। हम केवल काम करना नहीं जानते। कार्य के बीच में नाना विकल्प आते रहते हैं, बाधा डालते रहते हैं और हमारा काम श्लथ बन जाता है। विस्मृति की समस्या आज की एक बड़ी समस्या है-स्मृति की शक्ति का ह्रास। हमने देखा-अस्सी वर्ष का, नब्बे वर्ष का आदमी है, फिर भी उसकी स्मृति बड़ी अच्छी है किन्तु युवा विद्यार्थी इस समस्या से पीड़ित है। स्मृति जाती है बाधाओं के कारण। बाधाएं स्मृति को दबाती रहती हैं, स्मृति की ग्रन्थियां कमजोर और श्लथ बन जाती हैं। अगर 'केवल' की बात को जान लें तो स्मृति की समस्या नहीं रहेगी। स्व-नियोजन प्रबंधन का एक सूत्र है-स्व-नियोजन। अपना नियोजन कैसे करें ? बहुत आवश्यक है, अपना नियोजन, अपनी शक्ति का नियोजन। हम व्यवस्था करना नहीं जानते, इसलिए हमारी शक्ति बिखर जाती है। शिष्य ने गुरु से निवेदन किया-भन्ते ! मैं चाहता हूं-आप मेरा नियोजन करें। आप मुझे सेवा में लगाना चाहते हैं या स्वाध्याय में लगाना चाहते हैं ? जिसमें लगाना चाहते हैं, उसमें आप मेरा नियोजन करें। भगवान् महावीर ने एक गृहस्थ के लिए बारह व्रतों की आचारसंहिता दी। वह आचारसंहिता स्व-नियोजन की आचारसंहिता है। सेल्फ मैनेजमेंट का एक सूत्र है-मैनेजिंग योर नीड्स-अपनी आवश्यकताओं का नियोजन करना। महावीर ने इसी आधार पर बारहव्रतों की सूची दी थी। परिग्रह जरूरी है, धन के बिना काम नहीं चलता। खाना, पीना, कपड़े पहनना, मकान बनाना, ये सारी बातें जरूरी हैं, पर इनके साथ अपनी आवश्यकताओं का नियोजन भी अपेक्षित है। हमने भ्रान्ति से आवश्यकता, मानदण्ड-सबको एक मान लिया। वास्तव में आवश्यकता है क्या ? इसका चिन्तन करें तो प्रवृत्ति बहुत सिमट जाएगी। एक आदमी में क्षमता है तो वह आवश्यकताओं का परिसीमन कर लेगा। स्व-प्रबन्धन : ६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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