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________________ अपनी धारणाओं को देखें स्व-प्रबंधन का दूसरा सूत्र है अपनी धारणाओं को देखना। व्यक्ति धारणा के आधार पर चलता है। जैसी धारणा बना ली, उसी के आधार पर चलता है। यह अच्छा है, ऐसी धारणा बना ली तो उसे अच्छा मानेंगे, यह बुरा है, यह धारणा बन गई तो फिर उसे बुरा ही मानेंगे। एक व्यक्ति जो सामने खड़ा है, वह वास्तव में अच्छा है या बुरा है, यह निर्णय करना कठिन होता है किन्तु जो एक धारणा बना ली, वह धारणा अपने बारे में हो या किसी दूसरे व्यक्ति के बारे में, व्यक्ति की दृष्टि का केन्द्रबिन्दु बन जाएगी। एक कसौटी है धारणा। धारणा से हम अपने आपको देखते हैं और धारणा से ही हम दूसरों को भी देखते हैं। दूसरों की धारणा से स्व-प्रबंधन का तीसरा सूत्र है-दूसरों के द्वारा प्रदत्त धारणा से देखना। यह बड़ी कठिनाई है। व्यक्ति कभी अपने आप पर विश्वास नहीं करता। दूसरा कहता है-तुम अच्छे हो तो वह अच्छा मान लेता है। दूसरा कहता है कि तुम बुरे हो तो वह बुरा मान लेता है। अच्छा कहा जाता है तो अहं भावना में चला जाता है। बुरा माना जाता है तो हीनभावना में चला जाता प्रोफेसर के पास एक आदमी आया और बोला-प्रोफेसर साहब ! आप तो बहुत अच्छे आदमी हैं। आपने ऐसा श्रम किया कि मेरा लड़का उत्तीर्ण हो गया। अध्यापक अहं में चला गया। मन में सोचने लगा-मैं कितना अच्छा पढ़ाता हूं। थोड़ी देर के बाद दूसरा आदमी आया। उसने कहा-आप कुशल और सक्षम नहीं हैं, अयोग्य हैं। मेरा लड़का पढ़ने में बहुत तेज है, किन्तु आप ठीक से पढ़ाते नहीं, श्रम नहीं करते, इसलिए वह फेल हो गया। प्रोफेसर साहब संकोच में पड़ गए, हीन भावना से ग्रस्त हो गए। कठपुतली मत बनो आदमी दूसरों द्वारा प्रदत्त धारणाओं से अभिभूत होता है। कभी अपने आपको बड़ा मान लेता है, कभी छोटा मान लेता है। हमारा जीवन दूसरों ६४ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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