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समय और आप हमारी प्रवृत्तियां काल सापेक्ष चलती हैं, उन सारी प्रवृत्तियों का ठीक अंकन करें। ध्यान का निश्चित समय होता है। अभी आधा घण्टा ध्यान करना है, चालीस मिनट ध्यान करना है या एक घण्टा ध्यान करना है तो हमारी मानसिकता वैसी ही समयबद्ध बन जाती है। मस्तिष्क में समय इस तरह फिट हो जाता है कि ठीक समय आया और तत्काल ध्यान करने का मन हो जाएगा। यह स्थिति बने, इसके लिए जरूरी है कि पहले उसे फीड करें। इसलिए हम समय का, जो हमारे कार्य की सफलता का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है, सम्यक् मूल्यांकन और नियोजन करें। जिस समय जो करणीय है, उस समय वही करें। समय आपके साथ चले और आप समय के साथ चलें, यह एकात्मकता सफलता का वरदान बन सकती है।
६२ : नया मानव : नया विश्व
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