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नियुक्ति करना है, वह किस समय किस स्वर में करे ? किस समय कौन-सा स्वर चलता है, इसका बोध आवश्यक है । क्योंकि काल के साथ स्वरचक्र चलता है | कालचक्र और स्वरचक्र- दोनों साथ-साथ चलते हैं । किस काल में कौन-सा स्वर चलता है और उस समय कार्य करने से क्या होता है, यह जानना बहुत जरूरी है। यह स्वरोदय का विज्ञान समय प्रबंधन का बहुत बड़ा विज्ञान है 1
काले कालं समायरे
आज स्थितियां बदली हैं । हमारी दिनचर्या का क्रम समय नियोजन के साथ जुड़ा था। भगवान महावीर ने एक सूत्र दिया- 'काले कालं समायरे ।' इस सूत्र की व्याख्या सूत्रकृतांग में मिलती है- 'अन्नं अन्नकाले, पाणं पाणकाले, लेणं लेणकाले, सयणं सयणकाले - अन्न के समय अन्न खाओ, पानी पीने के समय पानी पीओ । अन्न और पानी का भी समय होता है । सूक्ष्मता में जाएं तो हर क्रिया का एक समय है । सामान्य जानकारी वाले व्यक्ति भी इस बात को जानते हैं कि खरबूजा किस समय खाना चाहिए, अमरूद कब खाना चाहिए ? बारह बजे के बाद अमरूद नहीं खाना चाहिए । विशेषज्ञों ने हर क्रिया के लिए समय निर्धारित किए हैं, किन्तु हम कम से कम दो कार्यों के समय का निर्धारण कर लें - सोना कब और उठना कब ? कब खाना और कब पानी पीना ? इनका समय निर्धारित कर लें तो समय का बहुत अच्छा नियोजन हो जाएगा ।
ब्रह्ममुहूर्त में क्यों जागें ?
भारतीय समयविज्ञों ने, जो समय का नियोजन करना जानते थे, उठने का समय का निर्धारित किया ब्रह्ममुहूर्त । प्रातः लगभग चार बजे का समय जागने का समय है । यह समय क्यों निर्धारित किया ? इसका कारण भी खोजें । प्राचीन भाषा में कहा गया- ब्रह्ममुहूर्त में जागने वाले का दिन बहुत अच्छा बीतता है और वह बहुत अच्छा जीवन जीता है । आज इस सचाई की वैज्ञानिक व्याख्या भी हो चुकी है । एक रसायन है सेराटोनिन । वह मन की शान्ति और प्रसन्नता के लिए उत्तरदायी है । सेराटोनिन के स्राव का समय सवेरे
८८: नया मानव : नया विश्व
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