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________________ वाले हैं। कुछ लोग अस्थिर मनोवृत्ति के होते हैं। कोई नई चीज अच्छी दिखाई देती है तो उस तरफ मुड़ जाते हैं। वे पहली वस्तु का त्याग कर सोचते हैं-यह बहुत अच्छा विकल्प है। फिर कोई तीसरा विकल्प आता है तो यह कहते हुए उस तरफ चले जाते हैं-यह तो और भी अच्छा है। चौथा विकल्प आता है तो उसको भी अपना लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों को कभी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती। उनके समय का नियोजन भी सम्यक् नहीं हो सकता। सफलता के लिए जरूरी है कि जो अत्यन्त आवश्यक है, उसका प्रयोग करें, उसे महत्त्व दें। जो व्यर्थ की बातें हैं, उसमें समय को न लगाएं। एक सूत्र इसके साथ जोड़ना आवश्यक है और वह है-स्वीकार और अस्वीकार-दोनों का प्रयोग। वह व्यक्ति सम्यक् रूप से समय का नियोजन नहीं कर सकता, जो अस्वीकार को नहीं जानता, निषेध करना नहीं जानता। क्या प्रतीक्षा पूरी होगी ? चुरू जिले में एक कस्बा है राजलदेसर। वहां एक सेवक था। घर से सुबह निकलता। किसी सेठानी ने कहा-सेवकजी ! बाजार से सब्जी लेते आओ। वह तुरन्त झोला लेकर सब्जी लेने चल दिया। रास्ते में किसी ने कहा-सेवकजी ! आज तो दूध नहीं आया, कहीं से दूध दुहा कर लेते आओ। वहां से बर्तन लेकर दूध लेने चल पड़ा। थोड़ी दूर आगे गया। किसी ने पर्ची पकड़ा दी-सेवकजी ! मेडिकल स्टोर से जरा यह दवाई लेते आओ। वह पर्ची लेकर दवाखाने की ओर मुड़ गया। वह बस स्टैण्ड पर पहुंचा। वहां पर एक सेठ ने कहा-रतनगढ़ से लड़की आने वाली है। वह अभी आयी नहीं है। तुम रतनगढ़ से उसे लेकर आ जाओ। वह सेठ से पैसा लेकर रतनगढ़ जाने वाली बस में बैठ गया। अब पीछे साग-सब्जी वाले प्रतीक्षा कर रहे हैं, दूध की प्रतीक्षा की जा रही है, दवा का इंतजार हो रहा है। क्या वे उन्हें मिलेंगे ? क्या उनकी प्रतीक्षा पूरी होगी ? रतनगढ़ से लौटने पर भी मिलेंगे या नहीं, कहा नहीं जा सकता। अस्वीकार करना सीखें जो मना करना नहीं जानता, वह समय का नियोजन नहीं कर सकता। समय ८६ : नया मानव : नया विश्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003059
Book TitleNaya Manav Naya Vishwa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year1996
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Spiritual
File Size10 MB
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